अशोक कुमार यादव के द्वारा छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर रायपुर में काव्य पाठ किया गया।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के पावन अवसर पर दिनांक 28 नवंबर 2021 को महंत सर्वेश्वर दास सभाकक्ष, संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग रायपुर, छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस उत्सव मनाया गया। इस उत्सव में छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के कवि एवं कवियत्रियां सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में मुंगेली जिले से राजभाषा आयोग के समन्वयक कृष्ण कुमार भट्ट ‘पथिक’, डॉक्टर अजीज रफीक, कल्पना कौशिक, हेमंत कश्यप उपस्थित हुए। इस उत्सव में कवि अशोक कुमार यादव, सहायक शिक्षक, (प्रभारी प्रधान पाठक) शिक्षक नगर जिला मुंगेली छत्तीसगढ़ के द्वारा अपनी प्रथम स्वरचित काव्य संग्रह ‘युगानुयुग’ की छत्तीसगढ़ी गीत- ‘मोर येहू बछर हाल-बेहाल हो गय रे’ प्रस्तुत की।
छत्तीसगढ़ी गीत- “मोर येहू बछर हाल-बेहाल होगे रे”
मोर येहू बछर हाल-बेहाल होगे रे। तीजा-पोरा हा जीव के काल होगे रे।। जब ले मईके गेहे मोर सुवारी। तब ले सब जगह होगे अंधियारी।। का-का चीज ल करंव मंय सवाल होगे रे।। मोर येहू बछर हाल-बेहाल होगे रे।। तीजा-पोरा ह जीव के काल होगे रे।। कूद के नल ल भकरस-भकरस टेंढ़त हंव। गोबर-खर्सी ल झऊहा-झऊहा हेरत हंव ।। घर के बूता हा जीव जंजाल होगे रे। मोर येहू बछर हाल-बेहाल होगे रे। तीजा-पोरा हा जीव के काल होगे रे।। गली खोर म रेंगत हंव, मूढ़ म पानी बोहके। दांत ल निपोरत हंव,लंबा गमछा ल ओढ़के।। गाँव भर म मोर नाव के बवाल होगे रे । मोर येहू बछर हाल-बेहाल होगे रे। तीजा पोरा हा जीव के काल होगे रे।। भात हो गेहे गिला चोआ बनाए रेहेंव। साग ह हो गेहे खर नून ल बढ़ाए रेहेंव।। भूख घलो अब मछरी के जाल होगे रे। मोर येहू बछर हाल-बेहाल होगे रे। तीजा-पोरा ह जीव के काल होगे रे।। सानेंव पिसान ल चढ़ाएंव तेल के कराही। कनकट्टा मन कूदत हें खउलत तेल म झपाहीं।। कुहरा म मोर आंखी ह लाल होगे रे। मोर येहू बछर हाल-बेहाल होगे रे। तीजा-पोरा ह जीव के काल होगे रे।। ठेठरी,खुर्मी नई मिठावत हे बिना सोहारी के। घर हा सून्ना -सून्ना लागत हे बिना सुआरी के।। पत्नी मोर परमात्मा,मंदिर ससुराल होगे रे। मोर येहू बछर हाल-बेहाल होगे रे। तीजा -पोरा हा जीव के काल होगे रे।।