भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय 74 साल पहले बिछड़े दो सगे भाइयों का बुधवार को ऐसा मिलन हुआ कि दोनों तो फूट-फूटकर रोए ही, वहां मौजूद बाकी लोगों की आंखें भी नम हो गईं। पाकिस्तान के फैसलाबाद में रहने वाले मोहम्मद सदीक और भारत में रहने वाले मोहम्मद हबीब आका उर्फ शैला पाकिस्तान स्थित श्री करतारपुर साहिब में मिले।
दोनों भाइयों के मिलन में सोशल मीडिया जरिया बना। दोनों पहले इस वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर मिले, इसके बाद आमने-सामने। पहले तो दोनों गले लगकर रोए, फिर एक-दूसरे के आंसू पोंछे। हबीब ने अपने पाकिस्तानी भाई सदीक से कहा- चुप कर जा, शुकर है मिल तां लिए…। हबीब ने भाई को यह भी बताया कि उन्होंने सारा जीवन मां की सेवा में लगा दिया। मां की परवरिश के कारण शादी भी नहीं की।
पाक रेंजर्स की भी हिम्मत नहीं हुई दोनों को जुदा करने की
यूं तो कॉरिडोर में पैर रखते ही पहली हिदायत दी जाती है कि भारतीय किसी भी पाकिस्तानी से बातचीत नहीं करेगा और न ही नंबर एक्सचेंज करेगा। कॉरिडोर पर अगर कोई भारतीय पाकिस्तान से बातचीत करता दिख भी जाता है तो पाक रेंजर्स टोक देते हैं, लेकिन, इस मंजर के बाद तो पाक रेंजर्स का भी दिल पसीज गया और इन दोनों भाइयों को जुदा करने की हिम्मत शाम 4 बजे तक किसी की भी नहीं हुई।
यह मिलन जिगर चीर देने वाला था: CEO
करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के CEO मोहम्मद लातिफ ने बताया कि जब दोनों भाई एक दूसरे के गले मिले तो दोनों की ऊंची-ऊंची रोने की आवाज सुनाई दी। यह मंजर जिगर को चीर गया। श्री करतारपुर साहिब में 5 हजार के करीब भारतीयों को एक दिन में लाने का इंतजाम है, लेकिन अभी यह गिनती 200 से भी कम है।
वीजा में दिक्कत के कारण मिलने वाले आते हैं यहां
यह पहला मौका नहीं था, जब विभाजन में बिछड़ों का करतारपुर में मिलन हुआ हो। इससे पहले अज्जोवाल होशियापुर से सुनीता देवी अपने परिवार के साथ करतारपुर जाकर अपने रिश्तेदारों से मिली थीं। बंटवारे के समय सुनीता के पिता भारत में ही रह गए थे और बाकी परिवार पाकिस्तान चला गया था। इसी तरह अमृतसर का जतिंदर सिंह और हरियाणा की मनजीत कौर श्री करतारपुर साहिब अपने ऑनलाइन दोस्तों को मिलने पहुंच गए थे। हालांकि, उन्हें पाकिस्तान रेंजर्स ने दोनों को वापस भेज दिया था।