raipur/ तीसरी लहर की शुरुआत के साथ सरकारी एजेंसियों ने आम लोगों की सुरक्षा के नजरिए से कोविड प्रोटोकाॅल जारी किया। मास्क की अनिवार्यता और सुरक्षा दूरी के अलावा कोविड की वजह से कई सख्त नियम लागू किए गए। राजधानी और प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों में रियलिटी चेक किया कि शर्तें क्या हैं और उनके पालन की क्या स्थिति है? हर जगह कोरोना प्रोटोकाॅल की धज्जियां उड़ती नजर आईं।
प्रदेश में पिछले साल 16 जनवरी को हेल्थ और फ्रंट लाइन वर्करों के साथ कोविड टीकाकरण की शुरुआत हुई थी। पूरा एक साल बीतने के बावजूद 45896 से अधिक हेल्थ और फ्रंट लाइन वर्करों जिनमें डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ समेत अफसर कर्मचारी ऐसे हैं जिन्होंने दूसरी डोज नहीं ली है। वहीं 10 हजार से ज्यादा ऐसे हेल्थ वर्कर हैं जिन्होंने अब तक पहला डोज नहीं लगवाई। नतीजा तीसरे डोज की रफ्तार बेहद धीमी है। तीसरी लहर में कोरोना संक्रमित होने वाले लोगों में हेल्थ और फ्रंट लाइन लोग खासी तादाद में पॉजिटिव आ रहे हैं। जो ये बताने के लिए काफी है कि टीका नहीं लगवाने की लापरवाही कितनी भारी पड़ रही है।
इस साल जनवरी 10 से हेल्थ फ्रंट लाइन श्रेणी में तीसरे टीके की शुरुआत हो चुकी है। पिछले 9 दिन में प्रदेश में इस ग्रुप में अब तक केवल 1.25 लाख टीके ही लग पाए हैं। हालांकि प्रिकॉशन यानी तीसरे डोज के लिए दूसरे टीके से 9 माह का अंतर रखा गया है। प्रिकॉशन डोज लगवाने वालों में गंभीर बीमारियों से पीड़ित 60 प्लस वाले सीनियर का पडला भारी दिखाई दे रहा है। क्योंकि ये लोग अधिक संख्या में टीका लगवाने जा रहे हैं। वहीं टीका केंद्रों में डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ से जुड़े लोग और अफसर, कर्मचारी टीका लगवाने ही नहीं जा रहे हैं। भास्कर ने इस पूरे मामले की पड़ताल की तो कई हैरान करने वाली जानकारियां सामने आई है।
पहला डोज भी टाला, दूसरा से भी चूक गए
दरअसल, 16 जनवरी से जब प्रदेश में टीकाकरण शुरु हुआ तो इस दौरान दूसरे टीके के लिए कोविशील्ड में भी एक माह का ही अंतर रखा गया था। हेल्थ, फ्रंट लाइन और अफसर, कर्मचारी लगातार अपना टीका टालते रहे। बाद में कोविशील्ड वैक्सीन में दूसरे टीके के लिए 84 दिन का अंतर कर दिया गया। पहला टीका लगवाने में फ्रंट लाइन वर्करों ने तो मुस्तैदी दिखाई, लेकिन हेल्थ से जुड़े लोगों ने जिनको की कोरोना की सबसे ज्यादा रिस्क है, उन्हीं ने देरी से पहला डोज लिया। इतना ही नहीं देर से पहला टीका लगवाने के बाद दूसरा डोज लगवाने में भी ये अमला टालमटोल करते रहा। जिसके कारण बहुत सारे लोगों की अभी दूसरे टीके की 9 माह की मियाद ही पूरी नहीं हो पाई है। इससे भी प्रिकॉशन डोज की रफ्तार में सुस्ती दिखाई दे रही है।
दिनभर में प्रिकॉशन के सिर्फ 170 टीके, इसमें भी हेल्थ फ्रंट नदारद
राजधानी के नेहरु मेडिकल कॉलेज में स्थित प्रदेश के सबसे बड़े टीकाकरण में दिनभर सूनापन ही पसरा रहता है। पिछले हफ्ते प्रिकॉशन डोज की शुरुआत में यहां अंबेडकर अस्पताल और नेहरु मेडिकल में कार्यरत स्टाफ ने उत्साह दिखाया। बाद में हेल्थ और फ्रंट लाइन के लोग प्रिकॉशन टीका लगवाने ही नहीं आ रहे हैं। भास्कर टीम यहां जब पहुंची तो इक्का दुक्का लोग ही टीके के लिए दिखाई दिए। इसमें भी 60 प्लस में गंभीर बीमारी वाले हितग्राही ही ज्यादा रहे। पूरे दिन में केवल यहां 170 टीके ही लगे। इसमें भी हेल्थ और फ्रंट लाइन वालों की तादाद 10 से भी कम रही। प्रदेश में पिछले 9 दिन में हर दिन 13 हजार टीके की गति से प्रिकॉशन डोज लगाए जा रहे हैं।