भिलाई/ वर्ष 2018 से लेकर अब तक क्रेडिट कार्ड के नाम पर ग्राहकों से हुई धोखाधड़ी के मामले में अब तक एसबीआई ने जांच तक शुरू नहीं की है। जबकि इस पूरे मामले में बैंक सवालों के घेरे में है। 1122 खाताधारकों के खातों से न्यूनतम 260 रुपए से लेकर अधिकतम सात लाख रुपए बिना उनकी जानकारी के निकाल लिए गए। करीब 10.80 करोड़ रुपए की निकासी का यह मामला है। इसे लेकर कार्य करने वाली एजेंसी ने 11 से 17 जनवरी और 20 से 23 जनवरी तक शिविर भी लगाया। इसमें इन 1122 ग्राहकों ने खातों से रकम निकाले जाने को लेकर शिकायत की।
बैंक भी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर रहा, बल्कि क्रेडिट कार्ड सर्विस प्रोवाइडर कम्पनी पर ठीकरा फाेड़ रहा है। बैंक का कहना है कि अनुबंध के तहत नाम, लोगो, दफ्तर दिया गया, लेकिन क्रेडिट कार्ड से संबंधित सर्विस देने का काम एजेंसी का है। पब्लिक सेक्टर के बैंक हो या फिर निजी, सभी अपने-अपने बैंकों के नाम पर क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं। कार्ड बनाने का काम निजी एजेंसी को दिया जाता है। एजेंसी की स्पोक्स पर्सन शिल्पा अब्राहम ने कहा कि सिर्फ 550 शिकायतें आईं, सभी का निराकरण किया गया। लौटाई गई राशि की जानकारी नहीं है।
1122 लोगों से ठगी हुई, एजेंसी ने सिर्फ 550 प्रकरणों को स्वीकारा
- 1122 क्रेडिट कार्ड धारकों के खातों से निकली रकम
- 2018 से अब तक लगातार खातों से निकलते रही राशि
- 10.80 करोड़ रुपए की निकासी अब तक हो चुकी
- 07 लाख अधिकतम ग्राहकों के खाते से निकाले गए
- 550 क्रेडिट कार्डधारकों की ही शिकायत का दावा किया गया
ठगी के शिकार लोगों ने कहा-कोई राहत नहीं
केस:-1 लोन ली गई 7 लाख की रकम निकाली
डोंगरगढ़ निवासी रेलवे कर्मचारी बसंत कुमार ने बैंक से बेटी की पढ़ाई के लिए 7 लाख रुपए लोन लिया था। उससे गलती हुई कि वह हर महीने पासबुक अपडेट नहीं करता था। जब उन्होंने पासबुक अपडेट कराया तो पता चला कि 12-13 बार में उसके खाते से लोन में ली गई सारी रकम निकाल ली गई है। जवाब में रिकवरी शब्द लिखा गया है। राशि वापस नहीं हुई है।
केस:-2 अभी तक कोई राशि वापस नहीं मिली
भिलाई निवासी बीएसपी कर्मचारी देवगिरी गोस्वामी ने बताया कि एक तारीख को उसके खाते में सेलरी आती और दो तारीख को उसके खाते से क्रेडिट कार्ड मे खरीदी के नाम पर पैसे निकाल लिए जाते। चार महीने में चार बार में 40 हजार रुपए निकाल लिए गए। मामले की शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। पैसे खाते में वापस नहीं आए हैं।
केस:-3 निकाले गए 10 हजार, कुछ नहीं मिला
संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग के सचिव एएनवी सत्यनारायण ने बैंक में बैठे एसबीआई क्रेडिट कार्ड के कर्मचारियों के कहने पर कार्ड बनवा लिया, लेकिन न तो उसका पिन जनरेट किया और न ही कभी क्रेडिट कार्ड का उपयोग किया, फिर उनके खाते से चार बार में 10 हजार रुपए निकाल लिए गए। शिकायत के बाद भी उसका कोई जवाब नहीं दिया गया।
260 रुपए से अधिकतम 7 लाख रु. तक निकाले गए
क्रेडिट कार्ड का कोई क्रेडिट नहीं, क्योंकि इसमें न केवल डाटा लीक हो रहा है, बल्कि ग्राहकों के खाते से जबरिया वसूली भी की जा रही है। खाते से सर्विस चार्ज, यूजर्स चार्ज के नाम पर 250 रुपए से लेकर 1200 रुपए तक काटे गए। वहीं सामान की खरीदी करने के नाम पर 12000 रुपए तक निकाले गए। इसकी शिकायत भी हुई।
क्रेडिट कार्ड बनाते समय ग्राहक से लेते हैं जानकारी
ग्राहकों का क्रेडिट कार्ड बनाते समय उनसे उनके खाते से संबंधित सारी जानकारी एजेंसी वाले लेते हैं। इनमें उनका नाम, पिता का नाम, नॉमिनी का नाम, आधार नंबर, पैन नंबर, बैंक का खाता नंबर, घर का पता, मोबाइल नंबर समेत अन्य सभी जानकारी ली जाती है। जानकारी के आधार पर रिकवरी करते हैं।
ठगी के शिकार बीएसपी तथा रेलवे के कर्मचारी
एसबीआई क्रेडिट कार्ड से ठगी के शिकार लोगों में संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग के सचिव, समेत रेलवे और बीएसपी के कर्मचारी हैं। इसके अलावा सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता और अन्य लोग शामिल हैं। इन लोगों ने 11 जनवरी को एसबीआई की सेक्टर-1 स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में हंगामा किया था। उन्हें एजेंसी भेज दिया गया।
सीधी बातचीत : एम पीसीसीएफ एसवी राधाकृष्ण राव, डीजीएम एसबीआई छत्तीसगढ़, एसएल बीसी लीड बैंक
अनुबंध के आधार पर ही नाम व लोगो का उपयोग
नाम और लोगो आपके बैंक का, कार्ड में हस्ताक्षर ब्रांच मैनेजर का, फिर एजेंसी क्यों जिम्मेदार है?
एजेंसी और बैंक के बीच कार्पोरेट स्तर पर अनुबंध हुआ है।
अनुबंध में कितने-कितने शेयर का उल्लेख है?
अनुबंध कार्पोरेट स्तर हुआ है। बता पाना मुश्किल है।
जिन खातों से पैसे कटे वह एसबीआई के हैं?
एसबीआई क्रेडिट कार्ड कोई भी बैंक का ग्राहक बनवा सकता है।
क्रेडिट कार्ड कंपनी से बैंक ने अपने ग्राहकों को ठगी से बचाने क्या किया है?
एसबीआई में सबसे अधिक सुरक्षित तरीके से रकम रखी जाती है।
बिना बैंक के मिलीभगत के ऐसा कैसे हो सकता है?
एसबीआई का काम पूरी तरह सुरक्षित है। यह गलत है।