बिलासपुर: कानन पेंडारी में गर्भवती शेरनी मौसमी की प्रसव के दौरान मौत हो गई। उसे बीते रविवार से प्रसव पीड़ा शुरू हुई थी। फिर 24 घंटे वह दर्द से तड़पती रही और शाम को उसने दम तोड़ दिया। प्रसव के प्रयास के दौरान शेरनी के आसपास कोई डाक्टर भी मौजूद नहीं थे। उसकी मौत होने के बाद प्रबंधन के अफसर व डाक्टर केज में पहुंचे। तब तक सांसें थम चुकी थीं। शेरनी के पेट में दो बच्चे थे और उनकी भी मौत हो चुकी थी।
शेरनी मौसमी की उम्र चार साल थी। उसकी मौत में इलाज में लापरवाही की बात सामने आ रही है। बीते रविवार से शेरनी को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। रातभर गुजरने के बाद भी प्रसव नहीं हुआ। सोमवार की सुबह भी शेरनी अपने केज में टहलते हुए प्रसव का प्रयास करती रही। इस बीच भी वह सफल नहीं हुई। दो दिनों की प्रसव पीड़ा के कारण उसकी हालत खराब हो गई थी। सोमवार को शाम 4.15 बजे उसकी मौत हो गई। इस 24 घंटे के दौरान शेरनी को किसी प्रकार के इलाज की सुविधा नहीं मिली।
यहां तक कि केज के आसपास जू प्रबंधन का कोई डाक्टर भी मौजूद नहीं था। शेरनी को कोई मदद नहीं मिलने के कारण उसकी सेहत खराब हो गई। मौत होने के बाद जू प्रबंधन व डाक्टरों की टीम केज में पहुंची। मृत शेरनी का आपरेशन किया गया। पेट के अंदर दो बच्चे थे और दोनों की मौत हो चुकी थी। शेरनी की मौत से कानन प्रबंधन में हड़कंप मच गया।
शव का किया पोस्टमार्टम
शेरनी की मौत के बाद अचानकमार अमरकंटक बायोस्फियर रिजर्व कोनी एवं परिक्षेत्राधिकारी, कानन पेंडारी जू की उपस्थिति में पशु चिकित्सकों की समिति गठित की गई। इसमें डा. आरएम त्रिपाठी, डा. अजीत पांडेय, डा. तृप्ति सोनी की उपस्थिति में शव का पोस्टमार्टम किया गया। डाक्टरों ने बिसरा को सुरक्षित रखा है। इसके बाद शव का दाह संस्कार किया गया।
इस संबंध में जू अधीक्षक संजय लूथर का कहना है कि गर्भवती शेरनी की सतत निगरानी की जा रही थी। सोमवार को प्रसव के दौरान उसकी मौत हो गई। शेरनी दो दिनों से खुद से प्रसव का प्रयास कर रही थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई। डाक्टरों की टीम ने मृत शेरनी के पेट का आपरेशन कर दो बच्चे मृत हालत में निकाले हैं।