बस्तर में मौजूद कांगेर वैली नेशनल पार्क (Kanger Valley National Park) पक्षियों की 200 प्रजातियों वाला प्रदेश का पहला नेशनल पार्क बन गया है. रिसर्च के मुताबिक नेशनल पार्क में पहाड़ी मैना, भृंगराज, उल्लू वनमुर्गी, जंगली मुर्गा, क्रेस्टेड, सरपेंटइगर, श्यामा, रैकेट टेल ड्रागो शामिल हैं. इसके अलावा तितलियों की 63 प्रजातियां नेशनल पार्क में पाई जाती हैं. ये 46 जनेरा और 29 फैमिली के अंतर्गत आती हैं.
राज्य का पहला नेशनल पार्क बना कांगेर वैली नेशनल पार्क
रेप्टाइल की 12 फैमिली के 37 प्रजातियों में मगरमच्छ, कछुआ अजगर, नाग, धामन, लिजर्ड, लंगूर, बंदर के अलावा हिरण भी देखे जाते हैं. मछलियों की 11 फैमिली से 56 प्रजातियों के मिलने का भी खुलासा हुआ है. कांगेर वैली नेशनल पार्क बस्तर जिले के दरभा ब्लॉक में स्थित है. डीएफओ धमशील ने बताया कि पार्क की 6 किलोमीटर औसत चौड़ाई और 34 किलोमीटर लंबाई है. पार्क में मौजूद कैलाश गुफा, दंडक गुफा, आरण्यक गुफा और कुटुमसर गुफा के अलावा दुर्लभ वन्यजीवों और पक्षियों की 200 प्रजातियों की वजह से नेशनल पार्क छत्तीसगढ़ राज्य के बाकी नेशनल पार्क से अलग पहचान दिलाता है.
पक्षियों की 200 प्रजातियों के अलावा और भी है खासियत
नेशनल पार्क के बीचोबीच कांगेर नदी जलधारा भी है. जलधारा पार्क में पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए काफी आकर्षण का केंद्र होती है. धमशील के मुताबिक नेशनल पार्क में दक्षिणी पेनिनसुलर मिक्सड, डेसिडुअस वन, आद्र सागौन वन, साल बीजा, साजा, हल्दू, चार तेंदू कोसम, बेंत बांस और अलग-अलग वन औषधियों के भी पौधे हैं. वनों का घनत्व 06 से 1.0 तक है. वन्य प्राणी में स्तनधारियों की 26 फैमिली की 49 प्रजातियों में तेंदुआ, चीतल, बार्किंग डियर, भालू ,जंगली सूअर, लोमड़ी, भेड़िया, माउस डियर, पैंगोलिन, लकड़बग्घा, बंदर ,लंगूर साही, सिवेट, नेवला, सोनकुत्ता, खरगोश, सियार और अन्य वन्य प्राणी कांगेर वैली नेशनल पार्क में पाए गए हैं.