बिलासपुर। फेडरेशन के हड़ताल के कारण आम लोगों को चौतरफा दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। जमीन की खरीदी बिक्री हो या फिर छोटे से लेकर बड़े मामला मुकदमा। एक पखवाड़ा पूरा ऐसे ही गुजर गया। जिला कोर्ट में पहली बार कामकाज ठप रहा है। कोरोना संक्रमणकाल के दो साल बाद जैसे-तैसे कामकाज पटरी पर लौटा था। हड़ताल ने एक बार फिर वकीलों से लेकर आम लोगों की परेशानी बढ़ा दी। राज्य शासन को राजस्व का भी भारी नुकसान हुआ। पंजीयक कार्यालयों पर नजर डालें तो अकेले बिलासपुर जिले में ही पखवाड़े भर के भीतर 20 से 25 करोड़ का नुकसान हुआ है। जिला पंजीयक कार्यालय को 12 करोड़ राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है। कोरोना संक्रमणकाल के दो साल जमीन खरीदी बिक्री का काम प्रभावित रहा। इलाज या अन्य कार्य के लिए जिनको बहुत जस्र्री था उन्हीं लोगों ने अपनी जमीनें बेची और इसके एवज में जो राशि मिली उसे इलाज या अन्य कार्यों में खर्च किया था। इन दो वर्षों में पूरा कामकाज ठप रहा। अब जबकि सब सामान्य हो गया है और सरकारी विभागों के अलावा निजी कार्यालयों में कामकाज सामान्य हो पाया है। ऐसे में कर्मचारी संगठनों को हड़ताल-दर-हड़ताल ने एक बार फिर सबकुछ चौपट कर दिया। लगातार हड़ताल के कारण कामकाज पूरी तरह प्रभावित रहा। पखवाड़ेभर विभागों में ताला लटकने की स्थिति रही। जमीन खरीदी बिक्री का कार्य भी बंद रहा। सामान्य दिनों में जिला पंजीयक कार्यालय में जमीन खरीदी बिक्री और रजिस्ट्री के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रतिदिन एक से सवा करोड़ स्र्पये का राजस्व राज्य शासन को प्राप्त होता है। रजिस्ट्री शुल्क के रूप में यह राशि शासन के खजाने में जमा कराई जाती है। रजिस्ट्री शुल्क के अलावा स्टांप पेपर की खरीदी में भी शासन को राजस्व प्राप्त होता है। यह काम पूरी तरह ठप रहा। इसकी भरपाई कैसे होगी इसे लेकर अब विभागीय अधिकारियों की परेशानी बढ़ने लगी है। राज्य शासन ने वित्तीय वर्ष के लिए राजस्व प्राप्ति का जो लक्ष्य तय किया है उसकी पूर्ति के लिए अतिरिक्त काम के अलावा और क्या किया जा सकता है इसे लेकर अफसर सोचने लगे हैं।
राजस्व न्यायालयों में पेंडेंसी का बढ़ रहा आंकड़ा
राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बीते एक पखवाड़े के दौरान राजस्व न्यायालयों व जिला कोर्ट में चार हजार से अधिक प्रकरणों की सुनवाई टाली गई है। प्रमुख पक्षकारों और आवेदनकर्ताओं को अगली सुनवाई का पेशी दिया गया है। अब ये निर्धारित तिथि में कोर्ट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। इसके बाद प्रकरणों की सुनवाई आगे बढ़ेगी। एक जानकारी के अनुसार तकरीबन 1800 राजस्व प्रकरणों की सुनवाई को अगली तिथि के लिए बढ़ा दी गई है।