छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में अतिक्रमण के नाम पर की गई कार्रवाई के चलते एक गरीब आदिवासी परिवार का आशियाना ढहा दिया गया है. इस कड़ाके की ठंड में परिवार सड़क पर आ गया है.उनके पास न तो रहने के लिए छत है और न ही खाने के लिए राशन. ठंड के बीच यह परिवार खुले आसमान में रहने को मजबूर है. ऐसे में पीड़ित परिवार ने जिला प्रशासन से न्याय और मदद की गुहार लगाई है.
पीड़ित परिवार ने कहा 30 वर्षो से घर बनकर रहे थे
दरअसल ये मामला जिले के ग्राम पंचायत डूमरपाली के ग्राम नारधा का है. जहां अतिक्रमण के नाम पर की गई कार्रवाई के चलते एक परिवार बेघर हो गया है. पीड़ित परिवार में से सेवती कंवर का कहना है कि उनका परिवार उस जगह पर घर बनाकर 30 साल से वहां जीवन यापन कर रहा था. पंचायत ने उनकी जगह को अतिक्रमण बताकर तोड़वा दिया. पीड़ित परिवार का आरोप है कि कार्रवाई के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी. इतना ही नहीं पंचायत के जिम्मेदार और शासकीय अधिकारियों ने उनके साथ मारपीट भी की है.
व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण घर तोड़े गए घर
सड़क पर आने के बाद न्याय की फरियाद लेकर कलेक्ट्रोरेट पहुंचे पीड़ित परिवार के रामू राम कंवर ने बताया कि जिस घास भूमि को अतिक्रमण बताकर तोड़ा गया है. उसी जगह पर और भी कई लोगों ने कब्जा करके मकान बनाया है. जिसकी संख्या करीब 30 से ज्यादा है. उनके मकान पर कार्रवाई बदले की भावना से की गई है. उन्होंने कहा कि पहले मैनें रेत खनन के मामले में सरपंच की शिकायत की थी. इसके कारण सरपंच मुझसे दुश्मनी रखता है.
दोषियों पर कार्यवाही करेगा प्रशासन
इस मामले को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. धमतरी के अपर कलेक्टर चन्द्रकांत कौशिक ने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी. जो लोग दोषी पाए जाएंगे, उन पर नियम के तहत कार्रवाई भी की जाएगी. इसके अलावा पीड़ित परिवार के अस्थाई तौर पर रहने और खाने की व्यवस्था की जा रही है.
आदिवासी समाज ने दी आंदोलन की चेतावनी
छत्तीसगढ़ को ट्राइबल स्टेट कहा जाता है. उत्तर से दक्षिण तक आदिवासी निवास करते हैं. धमतरी में बुलडोजर भी आदिवासी समाज के गरीब परिवार पर चला है. इसलिए समाज नाराज हो गया है. सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष जीवराखन लाल मरई ने कहा कि प्रशासन इस मामले पर निष्पक्ष जांच करें और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे. पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला तो आंदोलन करेंगे.