भ्रूण हत्या ,पाप नही महापाप है
दुर्ग । तृष्णा, अहंकार, और निरर्थक कामनाओं के वशीभूत मनुष्य अंधविश्वास में फंस जाता है, और जब उसका सार्थक परिणाम नही मिलता, तब समाज में, धर्म के प्रति आस्था का क्षरण होता है, शास्त्रों में निहित बातें जीवन को संवारने का कार्य करती है, समाज को पोषित करती है, बशर्ते उसका गलत व्याख्या न हो।
ग्राम मड़ियापार के पावन धरा में आयोजित भागवत कथा यज्ञ सप्ताह में अलग अलग कथाओं को विस्तार देते हुए कुं मिनाक्षी देवी वैष्णव ने कहा , देवकी के आठवें संतान , जो कि योगमाया के रुप में एक लड़की थी, कंश ने उसे मारने का भाव अपने अंदर लाया और उसका पाप का घड़ा भर जाता है। आज समाज में लड़कियों को गर्भ में मारने का जो निकृष्ट प्रयास होता है यह महापाप की श्रेणी में है| निष्काम प्रेम का भाव हमें गोकुल के गलियों से सीखनी चाहिए जहां ब्रजवासी कृष्ण की अनुपस्थिति में भी चौबिसों घंटा कृष्ण का साथ होने का अनुभूति करते हैं।
कृष्ण रुखमणी विवाह के सजीव चित्रण से उत्साह से भरे भागवत भक्तों नें वैसे ही कन्या दान का रस्म किये जैसे सच में रुखमणी उसकी ही पुत्री हो। कन्या दान का महत्व बताते हुए कथा प्रवक्ता मिनाक्षी देवी वैष्णव ने उपस्थित श्रोताओं से आग्रह किया कि पुत्रीयों के विवाह में हर किसी को यथा संभव सहयोग अवश्य करना चाहिए, चाहे वो बेटी किसी की भी हो|
मित्रता सुदामा जैसी होनी चाहिए सैकड़ों मित्रों से बेहतर एक सच्चा मित्र होना ज्यादा अच्छा है|आभाव या प्रभाव की मित्रता टिकाऊ नही हो सकता, निस्वार्थ रिस्ते का नाम सुदामा और सच्ची मित्रता का नाम ही कृष्ण है।
आयोजक बद्री दास परिवार, शिष्यगण , एवं ग्रामवासियों ने आगंतुकों का आभार करते हुए कथा लाभ हेतु निवेदन किया है।
