छत्तीसगढ़ सरकार 2025 तक टीबी जैसे गंभीर बीमारियों से प्रदेश को मुक्त बनाने की कवायद में लगी है. इसको लेकर प्रदेशभर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल में जागरूकता अभियान चलाकर शिविर का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन सरगुजा जिले के सीतापुर विकासखंड के रजपुरी सहित अन्य इलाकों में टीबी से ग्रसित मरीजों के इलाज के लिए 700 रुपए से लेकर 3000 रुपए तक की वसूली टीबी विभाग का सुपरविजन करने वाले कर्मचारियों द्वारा की जा रही है.
आधा दर्जन से अधिक टीबी के मरीज मौजूद
सरगुजा जिले के सीतापुर विकासखंड के रजपुरी गांव में आधा दर्जन से अधिक टीबी के मरीज मौजूद हैं. इससे पहले भी इस गांव में कई मरीज सामने आए और दवाई से ठीक भी हो गए है, लेकिन अब टीबी के मरीजों ने सीतापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संचालित टीबी ग्रसित मरीजों का सुपरविजन करने वाले कर्मचारियों द्वारा दवाई देने के नाम पर 700 रुपए से 3000 रूपए तक लेने का आरोप मरीज और मरीज के परिजनों ने लगाया है, साथ ही टीबी ग्रसित मरीजों के सुपरविजन करने वाले कर्मचारी द्वारा मरीजों को गंभीर बीमारी बताकर बीमा भी करवाया जा रहा है.
मरीज ने बताया अपना दर्द
टीबी मरीज रविशंकर ने बताया कि 2022 में उन्हें खून रहित खांसी होने लगा था. इसके बाद बीमारी को ठीक करने के लिए कई जगह जंगली जड़ी बूटी के लिए गए, इसके बाद डॉक्टर के पास गए. जो एक्सरे के लिए कहे, तब पता चला कि टीबी खांसी है. तब से दवा चालू हो गया. इलाज के लिए ज्यादा खर्च तो नहीं पड़ा लेकिन सिरप के लिए हजार रुपए खर्च करने पड़े. सिरप अपने घर से देते थे और सिर्फ टैबलेट फ्री में देते थे. कर्मचारियों द्वारा कहा जाता था कि बाहर से दवाई मंगवाई है. इसके साथ ही उनके द्वारा यह कहा जाता था कि बीमा करा लो, अगर कभी कुछ हो जाता है तो पैसा मिलेगा.
होगी जांच
इधर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ अमोश किंडो ने बताया कि टीबी के मरीजों का निशुल्क इलाज किया जाता है, और सुपरविजन के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है. जिससे कि टीबी ग्रसित मरीजों को समय-समय पर दवाई मिल सके. अगर टीबी ग्रसित मरीजों से रुपए लेने की बात सामने आई है तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी.