इस बार शक्ति की उपासना का त्योहार चैत्र नवरात्रि पर बेहद दुर्लभ योग का संयोग बन रहा है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल और ब्रह्म योग से हो रही है।
इस बार शक्ति की उपासना का त्योहार चैत्र नवरात्रि पर बेहद दुर्लभ योग का संयोग बन रहा है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल और ब्रह्म योग से हो रही है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन 22 मार्च को ब्रह्म योग सुबह 9.18 से 23 मार्च को 06.16 मिनट तक रहेगा। वहीं शुक्ल योग 21 मार्च को प्रात: 12.42 से 22 मार्च को सुबह 09.18 मिनट तक रहेगा। चैत्र नवरात्रि 22 मार्च दिन बुधवार से शुरू होने जा रही है। इसी के साथ ही पिंगल नामक संवत भी शुरू हो जाएगा। इस साल चैत्र नवरात्रि पर माता का वाहन नाव होगी, जो इस बात का संकेत है कि इस साल खूब वर्षा होगी। पूरे साल चार नवरात्रि आती हैं। इनमें आश्विन और चैत्र मास की नवरात्रि सबसे ज्यादा समाज में प्रचलित है। कहा जाता है कि सतयुग में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्रचलित चैत्र नवरात्रि थी। इसी दिन से युग का आरंभ भी माना जाता है। इसलिए संवत का आरंभ में चैत्र नवरात्रि से ही होता है। चैत्र नवरात्रि में अबकी बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी। नवरात्रि के दौरान तीन सर्वार्थ बार सिद्धि योग 23 मार्च, 27 मार्च, 30 मार्च को लगेगा। जबकि, अमृत सिद्धि योग 27 और 30 मार्च को लगेगा। रवि योग 24 मार्च, 26 मार्च और 29 मार्च को लगेगा और नवरत्रि के अंतिम दिन रामनवमी के दिन गुरु पुष्य योग भी रहेगा।
चैत्र नवरात्रि 2023 की तिथियां घट स्थापना डेट
चैत्र नवरात्रि पहला व्रत मां शैलपुत्री की पूजा, घटस्थापना: 22 मार्च
चैत्र नवरात्रि दूसरा व्रत मां ब्रह्मचारिणी की पूजा: 23 मार्च
चैत्र नवरात्रि तीसरा व्रत मां चंद्रघंटा की पूजा: 24 मार्च
चैत्र नवरात्रि चौथा व्रत मां कूष्मांडा की पूजा: 25 मार्च
चैत्र नवरात्रि पांचवा व्रत मां स्कंदमाता की पूजा: 26 मार्च
चैत्र नवरात्रि छठा व्रत मां कात्यायनी की पूजा: 27 मार्च
चैत्र नवरात्रि सातवां व्रत मां कालरात्रि की पूजा कि पूजा: 28 मार्च
चैत्र नवरात्रि आठवां व्रत मां महागौरी की पूजा की पूजा: 29 मार्च
चैत्र नवरात्रि नवमी व्रत मां महागौरी की पूजा की पूजा: 30 मार्च
इस वर्ष चैत्र प्रतिपदा तिथि 22 मार्च 2023, बुधवार के दिन पड़ रहा है। लेकिन चैत्र नवरात्रि से कुछ दिन पहले पंचक भी शुरू हो रहा है, जिसमें सभी आध्यात्मिक कार्य रोक दिए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि पंचक के दौरान किए गए कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है और इन पांच दिनों को बहुत ही अशुभ माना जाता है। ऐसे में चैत्र नवरात्रि से पहले और पंचक के दौरान साधकों को कुछ विशेष नियमों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
पंचक की अवधि में भूलकर भी ना करें यह कार्य
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है की पंचक के दौरान घर में बाहर से लकड़ी नहीं लानी चाहिए और ना ही लकड़ी से बड़ा कोई भी सामान लाना चाहिए। इस दौरान घर की छत डलवाना भी अशुभ माना जाता है। साथ ही दक्षिण दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। यह भी बताया गया है कि पंचक के दौरान मकान पर रंग का काम भी नहीं करवाना चाहिए। इससे दोष लगने का खतरा बढ़ जाता है।
पंचक के दौरान नक्षत्रों का प्रभाव
शास्त्रों में बताया गया है कि जब चंद्र ग्रह धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण में और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद व रेवती नक्षत्र के चारों चरण में भ्रमण करता है, उसे पंचक काल कहा जाता है। धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय बढ़ जाता है। शताभिषा में कलह और वाद-विवाद का खतरा बढ़ता है, पूर्वाभाद्रपद में रोग और उत्तराभाद्रपद में धन के रूप में दंड का भय रहता है। साथ ही रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना बढ़ जाती है।
