भारत में कपड़ा उद्योग का सदियों पुराना समृद्ध इतिहास है। यह देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। अब सरकार के नए कदमों से इस उद्योग की अहमियत और बढ़ी है। भारत कपड़ा उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक देश है। देश में कपड़ा उद्योग कृषि के बाद रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है
कपड़ा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 और पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क योजना 2023 से कपड़ा उत्पादन और निर्यात वृद्धि की जो संभावनाएं बनी हैं, उन्हें मुट्ठियों में लेने के लिए जरूरी है कि इस क्षेत्र के समक्ष दिखाई दे रही चुनौतियों का कारगर तरीके से समाधान किया जाए।
पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क एक ही स्थल पर कताई, बुनाई, प्रसंस्करण, रंगाई और छपाई से लेकर कपड़ा निर्माण तक एक एकीकृत वस्त्र मूल्य शृंखला का अवसर प्रदान करेगा। हर मेगा टेक्सटाइल पार्क से करीब एक लाख प्रत्यक्ष और दो लाख परोक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। ऐसे में कुल इक्कीस लाख रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इससे घरेलू निर्माताओं को अंतरराष्ट्रीय कपड़ा बाजार में समान मौके मिलेंगे। इसके साथ-साथ एक अप्रैल 2023 से लागू नई एफटीपी के तहत कपड़ा उद्योग के विशेष प्रोत्साहनों को देखें तो पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क योजना को निर्यात संवर्द्धन पूंजीगत सामान (ईपीसीजी) के तहत लाभ का दावा करने के लिए अतिरिक्त योजना के रूप में जोड़ा गया है। निर्यात आदेशों के त्वरित निष्पादन की सुविधा के लिए स्वघोषणा के आधार पर परिधान और वस्त्र निर्यात के लिए विशेष अग्रिम प्राधिकरण योजना का विस्तार किया गया है।
भारत के कपड़ा उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने, गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार ने आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए 10,683 करोड़ रुपए के स्वीकृत परिव्यय के साथ उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की है। भारत सरकार ने कपड़ा उद्योग के लिए सौ प्रतिशत स्वचालन की अनुमति दी है। वैश्विक स्तर पर कपड़ा उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना, एकीकृत वस्त्र पार्कों के लिए योजना, कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण की जो योजनाएं लागू की हैं, उनके अनुकूल परिणाम आ रहे हैं।
सरकार द्वारा शुल्क वापसी योजना के अंतर्गत 23 मार्च, 2023 से किए जा रहे निर्यात पर विभिन्न लाभ दिए जा रहे हैं। साड़ी और लुंगी समेत कपड़ा क्षेत्र की अठारह वस्तुओं के व्यापार को बढ़ाने के उद्देश्य से इनको भी निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट के अंतर्गत लाभ दिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, 11 अप्रैल, 2023 को कपड़ा मंत्रालय ने इकतीस जियो टेक्सटाइल और बारह ‘प्रोटेक्टिव टेक्सटाइल’ उत्पादों को वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पादन करने हेतु गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी किए हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत में कपड़ा उद्योग का शताब्दियों पुराना समृद्ध इतिहास है। यह देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। अब सरकार के नए कदमों से इस उद्योग की अहमियत और बढ़ी है। भारत कपड़ा उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक देश है। देश में कपड़ा उद्योग कृषि के बाद रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।
इस समय कपड़ा उद्योग में करीब 4.5 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और करीब 6 करोड़ लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार प्राप्त है। इस समय कपड़ा उद्योग देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दो प्रतिशत से अधिक और मूल्य के संदर्भ में देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में करीब सात प्रतिशत योगदान करता है तथा वैश्विक ‘रेडीमेड गारमेंट’ बाजार में अपना एकाधिपत्य जमाने को तैयार है। भारत से होने वाले कुल कपड़ा और परिधान निर्यात सबसे अधिक करीब 27 प्रतिशत अमेरिका को किया जाता है। इसके बाद करीब 18 प्रतिशत यूरोपीय संघ को, करीब 12 फीसद बांग्लादेश और करीब 6 फीसद संयुक्त अरब अमीरात को निर्यात किया जाता है।
ऐसे में इस समय देश में कपड़ा क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, निर्यात और रोजगार वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए कपड़ा उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है। बांग्लादेश और विएतनाम जैसे देशों के लिए तरजीही अनुदान देने के कारण भारत से कपड़ा क्षेत्र के निर्यात को नुकसान हुआ है। बांग्लादेश चीनी धागों का आयात करता है, अपने सस्ते श्रम का इस्तेमाल करके कपड़े बनाता और बिना किसी आयात शुल्क के इस तरह के कपड़े भारत को निर्यात करता है। ऐसे में बांग्लादेश को दी गई शुल्क मुक्त बाजार की पहुंच भारत में चीनी वस्त्रों के परोक्ष प्रवेश की सुविधा प्रदान कर रही है।
देश में चीन और कुछ अन्य देशों से वस्त्रों के सस्ते आयात कुछ क्षेत्रों में घरेलू कपड़ा उद्योग को नुकसान पहुंचा रहे हैं। भारत एक उभरता हुआ बाजार होने के नाते कपड़ा आयात करने वाले देशों द्वारा लगाए जा रहे शुल्कों के नुकसान का सामना भी कर रहा है। दुनिया के विभिन्न बाजारों में श्रीलंका और कई अफ्रीकी तथा अन्य देशों को शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त होती है, उससे भी भारत का कपड़ा विदेशी बाजारों में तुलनात्मक रूप से कम प्रतिस्पर्धी दिखाई देते हैं।
जरूरी है कि कपड़ा उद्योग के तहत प्रौद्योगिकी उन्नयन पर ध्यान केंद्रित किया जाए और उत्पादकता बढ़ाने के लिए बुनाई क्षमता में वृद्धि की जाए। राज्य सरकारों को कपड़ा क्षेत्र के बाजार को बढ़ाने के लिए पूंजी सबसिडी सृजित करने, उद्योग की समस्याओं को हल करने के लिए एक खिड़की समाधान प्रदान करने, वार्षिक आधार पर धागे पर एक निश्चित मूल्य को सक्षम करने हेतु प्रत्येक वर्ष के लिए धागे की कीमतें तय करने, कपड़ा उद्योग में अनुसंधान और विकास बढ़ाने, कपड़ा उत्पादन की नई तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कार्यबल को नए दौर के कौशल के साथ प्रशिक्षित करने के लिए युवा उद्यमियों को कपड़ा क्षेत्र की ओर आकर्षित करने के लिए अधिक ऋण और सबसिडी प्रदान करने, भारत के बाजार में अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के उत्पादों से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए भारतीय कपड़ा ब्रांडों का अधिक समर्थन, भारतीय निर्यातकों के लिए विदेशी बाजार में मजबूत ग्राहक प्रबंधन प्रणालियों को विकसित करने और कपड़े के वैश्विक व्यापारियों का विश्वास जीतने के लिए कपड़ा निर्यातकों को प्रशिक्षित किए जाने पर अधिक ध्यान देना होगा।
निस्संदेह इस समय भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए वैश्विक बाजार में आगे बढ़ने तथा प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनने के शानदार अवसर दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में कपड़ा उद्योग के विकास से संबंधित विभिन्न योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के साथ-साथ मशीनरी और उपकरणों के स्वदेशी विकास की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति तथा डिजाइन, इंजीनियरिंग में स्थानीय कौशल का दोहन करना होगा। कपड़ा उद्योग से संबंधित प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में चयनित छात्रों को प्रशिक्षण और अनुदान देकर उन्हें कपड़ा उद्योग के कुशल श्रमिक के रूप में तैयार करना होगा।