रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब सरोगेसी से माता-पिता बन सकेंगे। यानी ऐसे दंपती जो संतान पैदा नहीं कर पा रहे हैं, वह दूसरे की कोख से बच्चा ले सकेंगे। नियम अमल में लाने के बाद स्वास्थ्य विभाग के पास आठ निसंतान दंपतियों ने आवेदन किया है। इसमें दो आवेदन कोर्ट में अनुमति के लिए चले गए हैं।
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सरोगेसी के नियम बनने के बाद नवंबर-2022 से मार्च-2023 के बीच पांच महीनों में राज्य में 12 सरोगेसी सेंटरों और 12 स्पर्म डोनेशन केंद्रों को स्वास्थ्य विभाग ने मान्यता दी है। सरोगेसी के लिए यह केंद्र ही मान्य होंगे। जहां से सरोगेसी के लिए दंपतियों के आवेदन स्वास्थ्य विभाग के पास आएंगे। फिर जिले की मेडिकल टीम आवेदन जांच की प्रक्रिया पूरी करेगी। इसके बाद कोर्ट से अनुमति लेना होगा। इसके बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग के पास मामला जाएंगा, जो अनुमति देने या ना देने के लिए स्वतंत्र होगी। किसी तरह का प्रलोभन व लेन-देन की स्थिति में आवेदन निरस्त हो जाएगा। व संबंधितों पर कार्रवाई होगी। पूरी प्रक्रिया नियमों के तहत की जाएगी। किसी तरह सरोगेसी के दौरान कोख में बच्चा रखने वाली महिला का दंपती द्वारा इलाज का पूरा खर्च उठाना होगा।
सरोगेसी से बच्चा कौन ले सकेंगे
ऐसी स्त्री जो स्वास्थ्यगत कारणों से बच्चा धारण नहीं कर सकती।
– ऐसे दंपती जिनमें बच्चा लेने की क्षमता नहीं है।
45 साल तक की महिलाएं व 55 वर्ष तक के पुरुष पात्र होंगे।
यह बन सकेंगी सरोगेट
महिला की आयु 25 से 35 वर्ष से अधिक ना हो।
– महिला के कम से कम एक बच्चा हो।
– महिला सरोगेट बनने के लिए पूरी तरह स्वस्थ हो व दबाव ना हो।
निसंतानता के लिए विशेष क्लीनिक
आंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में निसंतानता के लिए विशेष क्लीनिक संचालित की जा रही है। इसमें हर दिन 10 से 15 दंपती पहुंचते हैं। वहीं माह में 400 से अधिक दंपती पहुंचते हैं। आने वाले समय में अस्पताल में आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) टेस्ट ट्यूब बेबी की सुविधा शुरू करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए प्रस्ताव भी तैयार किया गया है।
निसंतानता की स्थिति पर एक नजर
12 प्रतिशत दंपतियों को निसंतानता
30 प्रतिशत महिला जिम्मेदार
30 प्रतिशत पुरुष होते हैं जिम्मेदार
40 प्रतिशत केस में महिला व पुरुष दोनों में समस्या
प्रदेश में सरोगेसी सेंटरों पर एक नजर
12 निजी सरोगेसी केंद्रों को अनुमति
12 स्पर्म डोनेशन केंद्रों को अनुमति
35 सरोगेसी केंद्र के आवेदन रिजेक्ट
68 आइवीएफ केंद्र हैं राज्य में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक एआरटी व सरोगेसी डा. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में सरोगेसी के नियम लागू होने के बाद आठ दंपतियों के आवेदन आए हैं। सरोगेसी के लिए शासकीय नियमों के मापदंडों पर खरा उतरने पर ही अनुमति दी जाएगी।
आंबेडकर अस्पताल प्रसूति एवं स्त्री रोग की विभागाध्यक्ष डा. ज्योति जायसवाल कुल दंपतियों में 12 प्रतिशत को निसंतानता की शिकायत होती है। यह बड़ा वर्ग है। ऐसे में सरोगेसी व्यवस्था से शासकीय नियमों के तहत पात्र दंपतियों को लाभ मिल सकेगा।
स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के संचालक भीम सिंह का कहना है कि सरोगेसी व्यवस्था के तहत निसंतान दंपतियों को लाभ मिलेगा। हमने 12 केंद्रों को अनुमति दी है। आवेदन के आधार पर आगे भी प्रक्रिया को सुलभ किया जाएगा।