मनुष्य अपने पाप-पुण्य कर्मों का स्वयं भागी होता है जिसका फल उसे भोगना ही पड़ता है: प्रेम कुमार
दुर्ग । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के बघेरा स्थित आनंद सरोवर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर राधे-कृष्ण की चैतन्य झांकी का शुभारंभ हुआ। इस झांकी में मुख्य अतिथि के रूप में प्रेम कुमार (अपर प्रधान, मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी रायपुर छत्तीसगढ़), रुचिका जैन (जयश्री आईल मिल), कमलेश पवार (एचआर, अमलगम फैक्ट्री रसमड़ा), और आर.एल. ठाकुर (संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग दुर्ग) सम्मिलित हुए।
ब्रह्माकुमारीज दुर्ग की संचालिका रीटा बहन और वरिष्ठ शिक्षिका रूपाली बहन के सानिध्य में सभी अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर झांकी का शुभारंभ किया। प्रेम कुमार जी ने अपनी उद्बोधन में कहा, “श्री कृष्ण से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य अपने पाप-पुण्य कर्मों का स्वयं भागी होता है जिसका फल उसे भोगना ही पड़ता है।”
रुचिका जैन ने सभी आए हुए अतिथियों को कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए अपना अनुभव बताया, “आनंद सरोवर में आने से एक अलौकिक शांति की अनुभूति हुई।”
आर.एल. ठाकुर ने कहा चैतन्य झांकी प्रारंभ होने के पूर्व ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन का वीडियो देखें जिसमें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रहस्य की इतनी परिष्कृत व्याख्या हमने आज तक नहीं सुनी कि महाभारत में अर्जुन ने श्री कृष्ण को ही क्यों चुना ?
ब्रह्माकुमारी रायपुर का शांति सरोवर हो या दुर्ग का आनंद सरोवर हो दोनों अलौकिक स्थान है जहां आने से मन शांति और आनंद से भर जाता है ।
कमलेश पवार ने कहा इस भव्य आयोजन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं है मैं यहां आकर सीखा शुद्धता व पवित्रता ही वह रास्ता है जो हमें परमात्मा से मिला सकता है और ब्रह्माकुमारी संस्था इस प्रयास में निरंतर प्रयासरत है। जिसके लिए सभी ब्रह्मकुमारी बहनों को हृदय से धन्यवाद देता हूं।
ब्रह्माकुमारीज की मुख्य संचालिका रीटा बहन ने कहा, “श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हमें अपने जीवन में धर्म को मुख्य महत्व देना चाहिए धर्म अर्थात जीवन की धारणाएं हैं जो कि वास्तविक धर्म है और यह है पवित्रता सुख शांति आनंद प्रेम जो हमें स्वयं भी अच्छी लगती है और हमें दूसरों में भी यह अच्छी लगती है ।
रूपाली बहन ने कहा, “श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हमें भगवान कृष्ण की 16 कला की बातें सीखनी चाहिए । श्री कृष्ण समग्र विश्व में ऐसे युग पुरुष हुए हैं जिनका हर कर्म कलायुक्त होता था जिसे ही 16 कला संपूर्ण कहा जाता है। जब हम परमात्मा की याद में हर कर्म करते हैं तो हमारा हर कर्म कलायुक्त अर्थात विशिष्ट होता है जिसे देखकर दूसरों को लगता है कि इस कर्म की पुनः पुनरावृति करें ।
ध्वनि एवं प्रकाश से सुस्सजित श्री कृष्ण लीलाओं की अनूठी झांकी 25, 26, और 27 अगस्त को आयोजित है। जिसका समय संध्या 6:30 बजे से रात्रि 10:30 बजे तक है।
इसके अलावा, 28 अगस्त से सात दिवसीय निःशुल्क राजयोग शांति अनुभूति शिविर का आयोजन किया गया है । जिसका समयप्रातः 7:30 से 8:30 बजे एवं शाम 6:30 से 7:30 बजे तक रहेगा कोई भी 1 घंटे का समय सुनिश्चित कर शिविर में भाग ले निःशुल्क रूप से राजयोग मेडिटेशन सीख सकते हैं जो कि तनाव मुक्त एवं सुख शांति में जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है ।