नई दिल्ली // खनिजों पर टैक्स वसूलने के विवाद पर गुरुवार (25 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी टैक्स नहीं है।
साथ ही 9 जजों की बेंच ने 8:1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि राज्यों को खनिज पर टैक्स लगाने का अधिकार है। खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 राज्यों की टैक्स वसूलने की शक्तियों को सीमित नहीं करता है।
इससे पहले चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली नौ जजों की बेंच ने राज्य सरकारों, खनन कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की ओर से दायर 86 याचिकाओं पर 8 दिन तक सुनवाई के बाद 14 मार्च को फैसला सुरक्षित रखा लिया था।
9 जजों की बेंच करेगी सुनवाई
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपनी वेबसाइट पर जारी नोटिस के अनुसार, 9 जजों की बेंच मामले में गुरुवार सुबह 10 बजकर 30 मिनट सुनवाई करेगी। बेंच में जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज शामिल हैं।
कोर्ट ने कहा था- टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों को भी
पिछले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- संविधान में खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने का अधिकार केवल संसद को ही नहीं, बल्कि राज्यों को भी दिया गया है। ऐसे में उनके अधिकार को दबाया नहीं जा सकता है।
जवाब में केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने तर्क दिया था- केंद्र के पास खान और खनिजों पर टैक्स लगाने की ज्यादा शक्तियां हैं। साथ ही सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम (MMRDA) खनिजों पर टैक्स लगाने की राज्यों की विधायी शक्ति पर सीमा लगाती है और रायल्टी तय करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है।