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MP में 15 अगस्त से बंद होगी डायल-100
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 15 जुलाई 2025,  10:17 PM IST
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अब इमरजेंसी में डायल करना होगा 112; 1200 नई गाड़ियों से मिलेगी त्वरित पुलिस मदद

मध्यप्रदेश में 15 अगस्त 2025 से डायल 100 सेवा बंद कर दी जाएगी। इसकी जगह डायल 112 सेवा की शुरुआत की जाएगी, जिसमें अधिक अत्याधुनिक तकनीक और बेहतर रिस्पॉन्स की सुविधा होगी। नई बोलेरो नियो गाड़ियां राज्यभर में तैनात की जाएंगी और अब कॉल करने पर शिकायतकर्ता की लोकेशन भी जीपीएस से ट्रैक की जा सकेगी। डायल 100 के 10 साल के सफर को अब जीवीके कंपनी द्वारा संचालित डायल 112 सेवा आगे बढ़ाएगी।

राज्य के पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि 14 अगस्त से प्रदेशभर में डायल 100 की गाड़ियां (टाटा सफारी) सेवा से बाहर कर दी जाएंगी और 15 अगस्त से डायल 112 सेवा पूरी तरह लागू कर दी जाएगी। डायल 112 में नई बोलेरो नियो गाड़ियां शामिल होंगी, जो तकनीकी रूप से अधिक सक्षम होंगी और जीपीएस व वायरलेस सिस्टम से लैस रहेंगी।

डायल 100 सेवा की शुरुआत वर्ष 2015 में की गई थी, जिसकी अवधि पांच साल तय की गई थी। लेकिन तकनीकी अड़चनों, टेंडर प्रक्रिया की देरी, कोविड काल और प्रशासनिक वजहों से यह सेवा 10 वर्षों तक चलती रही। अब यह जिम्मेदारी बीवीजी कंपनी से हटाकर जीवीके (GVK) कंपनी को सौंपी गई है, जो राज्य में एम्बुलेंस सेवा संचालन का अनुभव पहले से रखती है।

डायल 112 सेवा के तहत प्रदेश में 1200 नई गाड़ियां फर्स्ट रिस्पॉन्स व्हीकल के रूप में उपलब्ध कराई जाएंगी। इन गाड़ियों में GPS, वायरलेस, डिजिटल नेविगेशन और लाइव लोकेशन ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं होंगी। किसी भी इमरजेंसी कॉल पर यह गाड़ियां तेज़ी से मौके पर पहुंचकर पुलिस या एम्बुलेंस जैसी त्वरित मदद उपलब्ध कराएंगी।

पिछले एक वर्ष में डायल 100 के माध्यम से 15 हजार से अधिक घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाया गया, जिससे यह सेवा कई लोगों के लिए जीवनरक्षक बनी। डायल 112 को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए नया कॉल सेंटर भी बनाया जा रहा है, जो सेंट्रल सर्वर से जुड़ा होगा। इससे सभी जिलों में समान रूप से इमरजेंसी सेवाओं का संचालन हो सकेगा।

डायल 112 मॉडल पहले से ही हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में संचालित हो रहा है, और मध्यप्रदेश इसका अगला चरण है। राज्य पुलिस का दावा है कि नई सेवा में रिस्पॉन्स टाइम कम होगा और लोकेशन आधारित मदद की गुणवत्ता बेहतर होगी।

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