वाशिंगटन । भारत केंद्रित एक शीर्ष अमेरिकी व्यापार पैरोकारी समूह ने बाइडन प्रशासन से आग्रह किया है कि वह एच-1बी वीजा पर प्रतिबंधों को कम करें और देश में आईटी पेशेवरों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त छात्रों को ग्रीन कार्ड दें। दरअसल अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 31 दिसंबर को सबसे अधिक मांग वाले एच-1बी वीजा के साथ ही दूसरे सभी तरह के विदेशी कार्य वीजा पर रोक को तीन महीनों के लिए 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया था, इस फैसले से बड़ी संख्या में भारतीय आईटी पेशेवर प्रभावित हुए। राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन ने ट्रंप की आव्रजन नीतियों को क्रूर बताकर एच-1बी वीजा पर प्रतिबंधों को खत्म करने का वादा किया था।
अमेरिका-भारत रणनीतिक और साझेदारी मंच के अध्यक्ष मुकेश अघी ने बताया, यह एक कानूनी मसला है। हमारे द्वाराबाइडन प्रशासन से सिफारिश की है कि एच-1बी (वीजा) को आसान बनाएं, लेकिन साथ ही प्रत्येक स्टेम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) पीएचडी डिग्रीधारक को ग्रीन कार्ड देना चाहिए, ताकि वे यहां रह सकें और पहले दिन से करदाता के रूप में योगदान कर सकें। अघी ने कहा, ‘‘हमारा पूरा समर्थन है और मुझे लगता है कि बाइडन प्रशासन की भावना भी ऐसी ही है। बाइडन 20 जनवरी को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने वाले हैं। वहीं अघी ने कहा कि हर साल जारी किए जाने वाले एच-1बी वीजा की संख्या को बाजार की मांगों के आधार पर तय किया जाना चाहिए। उन्होंने भारत में बने नए कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए कहा कि तीनों कानून सही मकसद के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक के इस युग में किसानों के पास अपनी उपज को मंडियों में बेचने या दूसरी जगह बेचने का विकल्प होना चाहिए। उन्होंने का कि कृषि कानून किसानों को यह विकल्प देते हैं।
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