दुर्ग/ राजनैतिक गुलामी की परिकाष्ठा का प्रतीक बना दुर्ग निगम ऐसा इसलिए कह रहे है कि विधायक अरुण वोरा द्वारा कुछ समय पूर्व महापौर परिषद की बैठक में बैठकर संचालित कर निर्वाचित पार्षदों के अधिकारों को कलंकित किया साथ ही पार्षदों के अधिकारों का हनन भी किया।
शहर के विकास कार्य को अपने एक एमआईसी की बैठक शहर के विधायक अरुण वोरा की उपस्थिति होकर निर्माण कार्य व अन्य कार्य में की जाने वाली राशि के संबंध में चर्चा भाग लेकर मन इच्छा फंड स्वीकृति कराई। कई एमआईसी सदस्यों को नगांवारा गुजर गुजरी किंतु वे कुछ कहे बिना ही अपनी कमजोर मान लिए।
इसी तरह पूर्व खोलना साल में आपदा के अवसर पर भी विधायक ने राजनीति करने में कोई कसर कोई असर नहीं छोड़ी इसके परिणाम स्वरूप वे सभी क्षेत्रों में सूखा राशन वितरण करने वाले थैले में अपना फोटो प्रिंट करा कर लोगों को वितरण किया जबकि यह मद की राशि को 60 वार्डो के पार्षदों ने विकास कार्यों को निरस्त करके दिया था।
इस दौरान एक और बात चर्चा में आई थी कि आपदा के समय नगर के गणमान्य नागरिकों ने कोरोना काल में लोगों को राहत पहुंचाने दान में निगम को दुर्ग निगम के फंड में लाखों रुपए दिए थे इसका उपयोग भी एमआईसी की स्वीकृति से खाद्यान्न बांटने में किया था इन नेताओं ने सीमा की जब लांघ दी जब एक विशेष वर्ग को उच्च क्वालिटी के खाद्यान्न इसमें आटा,चावल,मसाला सब्जियों के अलावा और भी जरूरतों की चीजें जो सामान्य दर से अधिक कीमत पर खरीद कर वितरण किया गया था यह केवल एक राजनीतिक तुष्टीकरण के तहत किया गया था।


अमृत मिशन के कार्यो को लेकर दुर्ग शहर विधायक नाराजगी जाहिर कर रहे है जबकि अमृत मिशन के अधिकांश कार्य जो पेटी कांट्रेक्टर के द्वारा किया गया उनमें से अधिकांश राजनीतिक दलों के पृष्ठ भूमि से ताल्लुकात रखते है जो भी आज हतोउत्साहित हो रहे है।