नगरीय क्षेत्रों में चल रही मुख्यमंत्री सस्ती दवा स्कीम का नाम बदलकर श्रीधनवंतरि योजना कर दिया गया है। अब शहरों में इसके तहत मोहल्लों में सस्ती दवा दुकानें खोली जाएंगी। इनमें सर्दी-खांसी बुखार, डायबिटीज, एंटी फंगल, एंटी बायोटिक, एलर्जी, थायराइड से लेकर दिल की बीमारियों तक की करीब 251 किस्म की दवाएं सस्ती दरों पर मिलेंगी।
यही नहीं 27 तरह के सर्जिकल आइटम जिनमें प्लास्टर, बेंडेज, केथेटर, सर्जिकल ग्लब्स, बीसीजी, हेपेटाइटिस के टीके भी शामिल रहेंगे। राजधानी समेत बड़े शहरों में ऐसी दुकानें अगस्त अंत तक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर खोलने की तैयारी है। रायपुर में हर वार्ड में ऐसी दुकान खोलने का प्लान है। माना जा रहा है कि अगले तीन हफ्ते में केवल रायपुर में ही ऐसी 20 से ज्यादा दुकानें खोली जा सकती हैं।
सस्ती दवा दुकान योजना का जो खाका खींचा गया है, उसमें दवा दुकानदार को अनिवार्य रूप से 50 फीसदी सस्ते दाम में दवाएं और सर्जिकल आइटम मुहैया कराना होगा। इन दुकानों के लिए सर्जिकल के तौर पर जिन 27 आइटम की सूची जारी की गई है, उसमें बीपी चेकिंग मशीन, शुगर टेस्ट किट, हर तरह का काॅटन, प्रेग्नेंसी डायग्नोसिस किट, थर्मामीटर (डिजिटल और मरकरी), पेपर टेप, क्रैप बेंडेज, प्लेन कैथेटर, पीओपी बैंडेज, डिस्पोजेबल सीरिंज, आक्सीजमीटर, ग्लूकोज सलाइन और स्प्रिट साल्यूशन के अलावा वैक्सीन में बीसीजी, डीपीटी, हैपेटाइटिस-बी और मीजल्स के टीके उपलब्ध होंगे।
यही नहीं, इन दुकानों में औषधि से जुड़े जनरल आइटम और सेनिटरी पेड वगैरह एमआरपी पर बेचने की अनुमति होगी। इसके अलावा प्रदेश के छोटे और बड़े नगरीय निकायों में भी इस स्कीम के तहत दुकानें शुरु की जाएंगी। इन दुकानों को निजी एजेंसी के अलाव स्वयंसेवी संस्थाएं और सामाजिक संगठन भी शुरू कर सकते हैं। इस हैसियत से उन्हें भी आवेदन कहना होगा और कांपीटिशन में आना होगा। दुकान खोलने की शर्त रही है कि हर सामग्री (ब्रांडेड को छोड़कर) का रेट बाजार से आधा (50 प्रतिशत) रखना होगा।
वन विभाग की संजीवनी दवाएं 15 प्रतिशत छूट पर
सस्ती दरों पर जेनरिक दवाएं उपलब्ध करवाने वाली इन दुकानों में वन विभाग की संजीवनी दवाएं भी बेचना अनिवार्य है। इन दवाओं पर आम लोगों को 15 फीसदी तक की छूट मिलेगी। इतना ही नहीं, आने वाले दिनों में शहरों में संचालित किए जा रहे मोबाइल अस्पतालों को भी दवाएं इन्हीं स्टोर से खरीदनी होगी। मोबाइल यूनिट में हर साल करीब 36 करोड़ रुपए की दवाओं की खपत होती है। इसके जरिए दोनों योजनाओं में एक समन्वय स्थापित किया जाएगा ताकि लोगों को निशुल्क इलाज के साथ सस्ती दवाएं मिल सकें।
