गांवों में पौनी पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवारों को भी अब मजदूर न्याय योजना में शामिल कर लिया गया है। इसके तहत गांव के पंडित, धोबी, नाई, बढ़ई, चरवाहा, मोची और लोहार परिवार को योजना का लाभ मिलेगा, बशर्ते उनके पास खेती की जमीन न हो।
इसके अलावा वनोपज संग्राहक और राज्य सरकार द्वारा समय- समय पर नियत किए गए कृषि भूमिहीन परिवार भी पात्र होंगे। परिवार के मुखिया यानि माता- पिता के नाम पर भी यदि खेती की जमीन है तो योजना का लाभ नहीं मिलेगा। बता दें कि आवासीय जमीन को कृषि भूमि नहीं माना गया है। जबकि पट्टे पर मिली सरकारी भूमि जैसे वन अधिकार प्रमाण पत्र को कृषि भूमि माना गया है। योजना के तहत पात्र परिवारों को 6 हजार रुपए एक या दो किश्तों में दी जाएगी। प्रदेश के करीब 12 लाख लोगों को फायदा होने जा रहा है।
30 नवंबर तक पंजीयन, 4 माह में बनेगी सूची
एक सितंबर से पंजीयन शुरू होगा, जो 30 नवंबर 2021 तक चलेगा। पंजीयन शुरू होने के 4 माह के भीतर अंतिम सत्यापित सूची तैयार कर ली जाएगी। भूमिहीन कृषक परिवारों को आवेदन करने में आसानी हो, इसके लिए सभी ग्राम पंचायतों में भुइयां रिकार्ड के अनुसार ग्रामवार बी-1 और खसरा की कॉपी चस्पा की जाएगी। पात्र परिवारों को राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के पोर्टल पर पंजीयन कराना होगा। 1 अप्रैल 2021 की स्थिति में पात्र लोग ही योजना में शामिल होंगे।
कलेक्टरों को दी गई जिम्मेदारी, बनेगी कमेटी
योजना के क्रियान्वयन, मॉनिटरिंग और शिकायतों के निपटारे की जिम्मेदारी कलेक्टर की होगी। कलेक्टर की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय समिति बनेगी। इसमें जिला पंचायत के सीईओ और प्रभारी अधिकारी भू अभिलेख, उप संचालक कृषि, जिला श्रम अधिकारी, लीड बैंक अधिकारी और जिला सूचना अधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा योजना की राज्य स्तर पर मॉनिटरिंग के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी 9 सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया गया है। इसमें राजस्व, पंचायत, कृषि, वित्त एवं श्रम विभाग के सचिव के अलावा मनरेगा आयुक्त और एनआईसी के राज्य सूचना आयुक्त सदस्य होंगे, जबकि भू- अभिलेख संचालक सदस्य सचिव होंगे।
एक सितंबर से शुरू होगा पंजीयन
आयकर रिटर्न भरने वाले व्यक्ति या परिवार के अलावा नगरीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग या परिवार, केंद्र या राज्य सरकार या पीएसयू में नियमित, दैनिक वेतन भोगी और संविदा पर पदस्थ या सेवानिवृत्त अफसर या कर्मचारी। इसके अलावा स्थानीय निकायों के नियमित कर्मचारी, केंद्र और राज्य सरकार के वर्तमान और पूर्व मंत्री। लोकसभा व राज्य सभा, विधानसभा, जिला पंचायत के वर्तमान और पूर्व सदस्य। नगरीय निकाय, जनपद पंचायत के वर्तमान या पूर्व अध्यक्ष, ग्राम पंचायत के वर्तमान या पूर्व सरपंच या किसी पेशेवर वर्ग से जुड़े लोग योजना के लिए पात्र नहीं होंगे।