नई दिल्ली: सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद इस हफ्ते भारत आ सकते हैं. विदेश मंत्री के रूप में उनकी पहली भारत यात्रा होगी. दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान और तालिबान के मुद्दे पर बातचीत होना संभव है. सऊदी अरब ने फिलहाल अफगान स्थिति पर चुप्पी साथ रखी है. उसने तालिबान के साथ जुड़ने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं की है.
नरेंद्र मोदी ने 3 सितंबर को टेलीफोन पर क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा की थी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 30 अगस्त को संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार डॉ अनवर गर्गश की मेजबानी की थी. इसी संदर्भ में सऊदी विदेश मंत्री का 19 सितंबर को भारत आने का कार्यक्रम है. प्रिंस फैसल बिन भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर सकते हैं. इसके अगले दिन एस जयशंकर यूएनजीए और क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए न्यूयॉर्क रवाना होंगे.
काबुल एयरपोर्ट पर हमले में सऊदी क्राउन प्रिंस की थी भूमिका?
हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 6 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर हमले के दौरान आईएसआईएल तत्वों का समर्थन करने में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की कथित भूमिका थी. ईरान के मेहर न्यूज ने यह दावा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि विपक्षी या प्रतिद्वंद्वी के अनुसार, बिन सलमान के कार्यालयों और मंत्रालयों में सऊदी सरकार के करीबी सूत्रों ने काबुल एयरपोर्ट पर बमबारी में आईएसआईएल आतंकवादी समूह के लिए सऊदी क्राउन प्रिंस के समर्थन की पुष्टि की है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बिन सलमान ने यह दिखाने की कोशिश की कि तालिबान अफगान लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थ हैं और यह साबित करता है कि तालिबान के तहत, अफगानिस्तान आतंकवाद का केंद्र होगा.
