रायपुर / संस्कृति विभाग में हुए दुर्व्यवहार के विरोध में रायपुर शहर के रंगकर्मियों ने अपना अनूठा नाटक सड़कों पर उतार दिया है। “संस्कृति विभाग तुम्हारे बाप का नहीं” नाटक के जरिए रंगकर्मी शहर के नुक्कड़ों, चौपाटियों और पार्कों में संस्कृतिकर्मियों के प्रति सरकारी रवैये की पोल खोल रहे हैं। इसमें सरकार के रवैये की फजीहत होती भी दिख रही है।
अभिनट फिल्म एवं नाट्य फाउंडेशन के कलाकारों ने रायपुर प्रेस क्लब के बाहर, मोतीबाग पार्क, जय स्तम्भ, गांधी चौक और सप्रे स्कूल के पास स्थित चौपाटी के पास नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन किया। रंगकर्मी योग मिश्रा के लेखन-निर्देशन में तैयार “संस्कृति विभाग तुम्हारे बाप का नहीं’ नाटक में समीर शर्मा, मंगेश कुमार, अखिलेश कुमार फाल्गुनी लायचा, सत्यम पाठक, ममता जैसवार, आदित्य देवांगन, पिंकू वर्मा, साहित्या ठाकुर, सूर्या तिवारी और शुभम ठाकुर ने भूमिकाएं निभाईं। गांधी चौक पर नाटक देख रहे गौरव ने कहा, संस्कृति कर्मियों के साथ अफसरों के दुर्व्यवहार का मामला दुखी करने वाला है। सरकारी कार्यालयों में मदद मांगने जाने वालों से कम से कम सम्मानजनक व्यवहार तो किया ही जाना चाहिए। वहां मौजूद प्रवीण साहू ने कहा, यह नाटक जिम्मेदार मंत्रियों को भी देखना चाहिए। अगर थिएटर और कला से जुड़े स्थापित लोगों के साथ ऐसा होगा तो फिर आम लोगों के साथ अफसर कैसा व्यवहार करते होंगे। इधर नाटक के निर्देशक योग मिश्रा ने बताया, तय हुआ है कि जब तक दुर्व्यवहार के दोषी अफसर के खिलाफ सरकार कार्रवाई नहीं करती, तब तक इस नाटक का प्रदर्शन जारी रहेगा।
2 अक्टूबर से शुरू हुआ है प्रदर्शन
अभिनट फिल्म एवं नाट्य फाउंडेशन इस नाटक पर पिछले एक महीने से काम कर रहा है। एक अभियान के तौर पर गांधी जयंती से इसकी शुरुआत हुई। पहले दिन बूढ़ा तालाब स्थित धरना स्थल, कचहरी गार्डन, गांधी उद्यान, नगर निगम गार्डन, विवेकानंद गार्डन, तेलीबांधा चौपाटी और जलविहार कॉलोनी के बगीचे में इसका प्रदर्शन हुआ था।
क्या हुआ था संस्कृति विभाग में
दरअसल योग मिश्रा और उनके साथी कलाकर पिछले 5 अगस्त को संस्कृति विभाग गए थे। उन्होंने विभाग के संचालक विवेक आचार्य से हबीब तनवीर स्मृति नाट्य समारोह के लिए मदद मांगी। आरोप है कि संचालक ने कहा, आप के प्रस्ताव पर संस्कृति विभाग मदद नहीं करेगा। मदद का ऐसा कोई प्रावधान नही है। कलाकारों ने कहा, संस्कृति विभाग ऐसे कार्यक्रमाें में मदद के लिए ही तो बना है। ऐसे जवाब से भड़के हुए संचालक विवेक आचार्य ने कह दिया “संस्कृति विभाग तुम्हारे बाप का नहीं।’
इसी नाम से किया समारोह, वह भी बिना सरकारी मदद
संस्कृति विभाग में हुए दुर्व्यवहार के बाद रंगकर्मियों ने संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत से मुलाकात की थी। उनसे कार्रवाई की मांग हुई। बात नहीं बनी तो एक और दो सितम्बर को आयोजित हबीब तनवीर स्मृति नाट्य समारोह का नाम “संस्कृति विभाग तुम्हारे बाप का नहीं है’ करके विरोध जताने की कोशिश हुई। इसकी देशभर में चर्चा हुई लेकिन सरकार को इससे फर्क पड़ता हुआ नहीं दिखा।