बलौदा बाजार जिले को गुरू घासीदास बाबा की जन्मस्थली मानी जाती है. इसी के चलते गिरौधपुरी में एशिया का सबसे बड़ा जैतखाम बनाया गया. ये जैतखाम दिल्ली के कुतुब मीनार से 6 फीट ऊंचा है.
छत्तीसगढ़ में सफेद लकड़ी की रविवार को पूजा की गई. इसकी मान्यता इतनी अधिक है कि पूरे राज्य में हर तरफ सफेद रंग के कपड़े पहने लोग दिखे. राज्य में सतनाम पंथ को मानने वालों के लिए ये बड़ा त्योहार है. आखिर सफेद लकड़ी की पूजा क्यों की जाती है. इसके बारे में एबीपी न्यूज ने प्रो. डॉ जे आर सोनी से खास बातचीत की.
गुरू घासीदास बाबा की 266 वीं जयंती
दरअसल छत्तीसगढ़ में रविवार को गुरू घसीदास की जयंती की 266 वीं जयंती मनाई गई. इसीलिए प्रदेशभर में सफेद लकड़ी से बने जैतखाम की सतनामी रिवाज से पूजा की गई. डॉ जे आर सोनी ने बताया कि 266 साल पहले वर्तमान बलौदा बाजार जिले में एक गरीब घर में बाबा घासीदास का जन्म हुआ था. जिन्होंने सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए इस पंथ की स्थापना की है इसलिए गुरु घासीदास बाबा की जयंती पर हर साल 18 दिसंबर को इनकी जंयती धूमधाम से मनाई जाती है.
पहले घर के रसोई के पास बनाया जाता था जैतखाम
इस दिन सतनाम अपने घर के नजदीकी जैतखाम के पास जाकर पूजा करते हैं. इस सफेद लकड़ी में मालपुआ का खास तरह का प्रसाद चढ़ाया जाता है. इसके इतिहास के बारे डॉ जे री सोनी ने बताया कि लोगों ने पहले अपने घरों में ही रसोई घर के पास जैतखाम की स्थापना की. इसके बाद धीरे धीरे आंगन में इसकी स्थापना की गई. जब लोग पढ़ लिख गए तो सामाजिक बुराई दूर हो इसलिए चबूतरे में स्थापना की गई. अब राज्य के हर कोने में जैतखाम की स्थापना की गई है.
लाइट हाउस की तरह है जैतखाम
डॉ सोनी ने आगे बताया कि इस दिन दिन जैतखाम में पालो चढ़ाया जाता है. पहले सराई की लकड़ी से सत्य का प्रतीक चिन्ह बनाया जाता था. लकड़ी जितनी ऊपर दिखाई देती है उतनी ही लंबी नीचे जमीन में लकड़ी गड़ा जाता है. आज पर्यावरण के लिए पेड़ कटना बंद किया जा रहा है. इसके लिए सीमेंट से बना जैतखाम बनाया जा रहा है. समुद्र में लाईट हाउस होता है, उसी प्रकार जैतखाम भी प्रकाश स्तंभ है. सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए इसे सतनामी अपने प्रतीक के रूप में मानते हैं.
कुतुब मीनार से ऊंचा है गिरौधपुरी का जैतखाम
बलौदा बाजार जिले को गुरू घासीदास बाबा की जन्मस्थली मानी जाती है. इसी के चलते गिरौधपुरी में एशिया का सबसे बड़ा जैतखाम बनाया गया. ये जैतखाम दिल्ली के कुतुब मीनार से 6 फीट ऊंचा है. दरअसल कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर यानी 237 फीट वहीं जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर यानी 243 फीट है. जिस तरह ताजमहल के साथ खुद की तस्वीर लेने के वहां से आधा किलोमिटर दूर जाना पड़ता है, उसी तरह जैत खाम के साथ तस्वीर लेने के दूर जाना पड़ता है. इतना विशाल है जैतखाम.
