दुर्ग/ नगपुरा। नगपुरा में लोगस्स आराधना के साथ चक्र साधना शिविर का दूसरा दिन है। विभिन्न स्थान से आए शिविरार्थियो को साधना का महत्व समझाते हुए मोटिवेशन ट्रेनर शेखर बैद (जैन) ने कहा कि ” सिर्फ सकारात्मक सोच ही हमें इस संसार में खुशियाँ दे सकती है, जबकि नकारात्मक सोच सिर्फ दुःख ही नहीं देती, बल्कि पूरी तरह तबाह कर देती है। हमारी हर सोच आनेवाली परिस्थिति के बीज बोती है! हमारे मन में जो विचार उत्पन्न होता हैं ,ध्यान साधना के अभाव में वह विचार हमारे सोच में रूपांतरित हो जाता हैं ,फिर हम जीवन को ऐसे ही सोच के अधीन जीने लगते हैं!, चक्र साधना से हमे आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती हैं। किसी मुश्किल घड़ी में यदि हम साकारत्मक रहे, तो वह दुःख दाई परिस्थिति को भी सुखदाई बना देती है। अक्सर मनुष्य के नीचे के तीन चक्र जागृत होते हैं ,वह शारिरिक स्तर पर जीवन जीता है। घर संसार ,भौतिक जरुरते,इससे बढकर वह ज्यादा सोचता नहीं है किन्तु जब वह अपने ऊपर के आध्यात्मिक चक्रो को सक्रिय करने की दिशा में काम करने लगता है तो वह इन सांसारिक परिस्थितियों से ऊपर उठने लगता हैं। जीवन को देखने का नजरिया बदल जाता हैं फिर वह समस्याओ से घबराता नहीं है,बल्कि जल्दी ही उपाय खोज लेता हैं।”
सभागृह मे उपस्थित जनमानस को संबोधित करते शेखर जैन ने बतलाया कि जब हमारा मन सकारात्मक होगा, तब हमें दिव्यता का अनुभव होगा क्योंकि सकारात्मकता से ही निर्मलता की गंगा बहती है !और मन की निर्मलता से ही परम सुख की प्राप्ति होती है। भगवान महावीर ने कहा है कि जो सकारात्मक रहेगा वही मोक्ष की ओर आगे बढ़ सकता है, इसलिए नकारात्मक से बाहर निकलना अत्यंत आवश्यक है। लोगस्स का उच्चारण करने मात्र से अनहद ध्वनि का संचार हमारे शरीर में होता ,इससे सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। चक्र साधना में बीज मंत्रो के साथ लोगस्स स्तोत्र का आराधना हमारी साधना को ओर अधिक पुष्ट बनाती हैं। ये बात बिल्कुल अकाट्य है कि अगर हमारी सोच सकारात्मक है तो हम सफल ज़रूर होते है चाहे जीवन मे कितनी भी समस्याएं आएं। हमारी साधना हमारे लिए ढाल बनकर खड़ी रहेगी !
