छत्तीसगढ़ में किसानों के लिए यह योजना वरदान साबित हो रही है. विभाग की इस योजना से राज्य में 95,159 किसानों को इसका लाभ दिया जा चुका है.
Durg: इजराइल की अत्याधुनिक सूक्ष्म सिंचाई योजना का उपयोग छत्तीसगढ़ के किसान भी कर रहे हैं. राज्य में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति लगातार लोकप्रिय हो रही है. छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इस नई पद्वति को किसानों को अपनाने के लिए अनुदान भी दिया जा रहा है. इस नई तकनीक से उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए सिंचाई के लिए कम पानी की जरूरत होती है. साथ ही भरपूर उत्पादन भी मिलता है.
अब तक छत्तीसगढ़ के 95159 किसानों को मिला लाभ
छत्तीसगढ़ में किसानों को सूक्ष्म सिंचाई योजना को अपनाने के लिए भरपूर प्रोत्साहन दिया जा रहा है. उद्यानिकी विभाग की इस योजना से राज्य में 95,159 किसानों को इसका लाभ दिया जा चुका है. योजना में लघु एवं सीमांत किसानों को 55 प्रतिशत तथा अन्य किसानों को 45 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. राज्य में उद्यानिकी फसलों के अंतर्गत लगभग 1,14,614 हेक्टेयर में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर पद्धति के माध्यम से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है जो कि उद्यानिकी फसलों के कुल रकबा 8,34,311 हेक्टेयर का 13.73 प्रतिशत है.
जानिए सूक्ष्म सिंचाई योजना उद्यानिकी से खेती करने के लाभ
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा संचालित सूक्ष्म सिंचाई योजना, उद्यानिकी की खेती करने वाले किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इस योजना के तहत टपक सिंचाई (ड्रिप इर्रीगेशन) एवं फव्वारा (स्प्रिंकलर) से सिंचाई की जाती है. इस सिंचाई पद्धति से एक ओर जहां एक-एक बूंद पानी का उपयोग हो रहा है वहीं कम पानी में अधिक रकबे में सिंचाई की जा सकती है. किसानों को भरपूर लाभ भी हो रहा है.
सूक्ष्म सिंचाई योजना से पौधों तक तुरन्त पानी पहुंचता है तथा रिसाव न होने के कारण खरपतवार भी कम निकलते है. इस पद्धति से फसलों के उत्पादन में अधिक वृद्धि होती है. सबसे खास बात इसकी यह है कि यह पद्धति ऊंची-नीची भूमि पर भी कारगर साबित होती है. ड्रिप के माध्यम से फसलों को उर्वरक कीटनाशक दवा बड़ी आसानी से दी जा सकती है. इस पद्धति से सिंचाई पर होने वाले श्रम की भी बचत होती है.
इस पद्धति का उपयोग कर किसान ने कमाया 95,700 रुपए
टपक सिंचाई पद्धति को अपनाने वाले महासमुंद जिले के ग्राम अमलोर के किसान लीलाधर यदु ने बताया कि उनके पास 0.80 हेक्टेयर भूमि है. लगभग 4-5 वर्ष पहले बिना ड्रिप संयंत्र के सब्जी की खेती करता था. जिसमें मजदूरी एवं खाद-दवाई की लागत बहुत ज्यादा आती थी और पानी की खपत भी ज्यादा होती थी. पानी और खाद-दवाई का अच्छे से उपयोग नहीं हो पाता था.
लेकिन साल 2021-22 में ड्रिप सिंचाई की पद्धति को पहली बार सब्जी की खेती में अपनाया. इस पद्धति से सिंचाई के बाद खाद-दवाई एवं पानी का अच्छे से उपयोग हो सका और खर्च में काफी कमी आयी. मजदूरी लागत भी कम हुआ है. जिससे आमदनी बढ़ोत्तरी हुई. यदु ने बताया कि वर्तमान में बैंगन की फसल का अच्छा उत्पादन हो रहा है. जिसे स्थानीय बाजार में अच्छी कीमत मिल रही है. उन्हें बैंगन की खेती से 95,700 का लाभ प्राप्त हुआ है.
