न पेंशन मिल रही और न ही ट्राईसिकल, हो रही परेशानी
दिव्यांजनों के लिए कृत्रिम अंग, कैलिपर्स, सहायक उपकरण, मापन, वितरण, यूडीआईडी कार्ड बनाने एवं दिव्यांगों को वितरित करने के लिए 12 से 15 फरवरी तक “निदान’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। शिविर का शुभारंभ सुबह 10 बजे कलेक्टोरेट परिसर स्थित कंपोजिट बिल्डिंग के पास हुआ। शिविर में दिव्यांगों की समस्याओं का निदान करने कार्यक्रम का नाम निदान दिया गया, लेकिन इस शिविर में दिव्यांग परेशान होते रहे।
दिव्यांगों ने कहा कि चुनाव में अधिकारी घर तक पहुंचकर खातिरदारी करते हैं, जब परेशानी आती है, तो आवेदन पर आवेदन करने पड़ते हैं, जिसका निराकरण भी नहीं होता। यहां शिविर लगाकर दिव्यांगों को परेशान किया जा रहा है। गांव में मुनादी भी ढंग से नहीं हुई, सरपंचों ने भी सही जानकारी नहीं दिया। आमदी से पहुंची देहूति साहू व उसके पति चंद्रशेखर साहू दोनों दिव्यांग हैं। देहूति ने बताया कि 5 साल पहले बैटरी वाली मोटराइज्ड ट्रायसिकल मिली थी। 2 साल में ही बैटरी खराब हो गया। 5 से 6 बार समाज कल्याण विभाग में सुधरवाने आवेदन दिया, आज तक निराकरण नहीं हुआ। कुछ लोगों ने सुधार कराने के नाम पर ठगी कर 2 हजार से अधिक रुपए ले गए। चुनाव में खातिरदारी होती है। इसके बाद कोई पूछने वाला नहीं रहता। सोमवार को आमदी से धमतरी ऑटो से पहुंचे हैं। आने-जाने में ही खर्चा ज्यादा लग गया है। जैसे-तैसे घर का खर्चा चलाते हैं।
यहां आकर फिर से आवेदन करने कहा गया। पहले के आवेदन का विभाग को पता ही नहीं हैं। सिर्फ दिव्यांगों को शिविर में बुलाकर परेशान कर रहे हैं। सुबह से आए हैं, सिर्फ पोहा दिया गया है, वह भी ठंडा हो चुका है। सिहाद की हिरमत बाई ने कहा कि 5 साल से दोनों पैर अपने आप काम नहीं कर रहा है। 80 प्रतिशत दिव्यांग है। आज तक पेंशन नहीं मिला। जैसे-तैसे शिविर में पहुंची हूं। चल नहीं पा रही हूं। मोटराइज्ड ट्रायसिकल की मांग किए थे, पर विभाग के अधिकारी ध्यान ही नहीं देते। दिव्यांगों को शिविर में परेशान होना पड़ रहा है। इधर समाज कल्याण विभाग के उप संचालक अखिलेश तिवारी ने बताया कि जिन लोगों ने पहले आवेदन किया है, उन्हें आवेदन करने की जरूरत नहीं है, जबकि शिविर में लोगों से नया आवेदन लिया जा रहा था। 4 दिनों तक शिविर लगेगा। इस दौरान कृत्रिम अंग दिए जाएंगे। 144 दिव्यांगजनों का पंजीयन किया गया। धमतरी। आमदी के दिव्यांग परिवार आवेदन करने भटकते रहे।
सोरम निवासी मंगलूराम ने कहा कि साल 2004 से एक पैर नहीं है। कृत्रिम अंग के लिए पहले भी बुलाए थे, पर आज तक नहीं मिला। बैसाखी के सहारे जीवन गुजर रहा है। नए बैसाखी की मांग करने के लिए विभाग में पहले भी कई बार आवेदन दे चुका हूं, पर नहीं मिला। गांव में पंचायत द्वारा किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई कि दस्तावेज ले जाने हैं। यहां आकर नया फार्म भरने कहा जा रहा है। कुछ दस्तावेज नहीं लाए हैं। बैसाखी के सहारे वापस गांव जाना पड़ रहा है। इसी तरह लिमतरा के कन्हैयालाल ने कहा कि दिखाते के लिए शिविर आयोजित किया गया है। बैसाखी के लिए आवेदन कई बार किया। दिया नहीं गया है। धमतरी। सोरम निवासी मंगलू साहू को नया आवेदन करने कहा गया।