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एन एच एम कर्मचारियों का फूटा गुस्सा, हजारों की भीड़ ने किया प्रदर्शन निकाली रैली, कल करेंगे विधानसभा का घेराव
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 16 जुलाई 2025,  11:20 PM IST
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एन एच एम कर्मचारियों का फूटा गुस्सा, हजारों की भीड़ ने किया प्रदर्शन निकाली रैली, कल करेंगे विधानसभा का घेराव

20 वर्षों से केवल वादे और छलावा मिला है, इसलिए आज हम रोड पर उतर कर हड़ताल करने मजबूर हुए है
दुर्ग। 
छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के 16,000 से अधिक संविदा कर्मचारी आज से अपनी नियमितीकरण सहित 10 सूत्रीय लंबित मांगों को लेकर सभी जिला कलेक्टरों के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप गया हैं।
एनएचएम कर्मियों का दो दिवसीय प्रदेशव्यापी आंदोलन आज से शुरू हो चुका है।
प्रदेश के सभी 33 जिलों में 16,000 से अधिक एनएचएम कर्मचारियो ने विशाल धरना प्रदर्शन ,रैली के साथ  सरकार का ध्यान आकर्षित किया।
मुख्य मांगे -
1️⃣ नियमितीकरण/संविलियन
2️⃣ ग्रेड-पे निर्धारण
3️⃣ पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना
4️⃣ मेडिकल अवकाश की सुविधा
5️⃣ 27% वेतन वृद्धि
...सहित कुल 10 सूत्रीय माँगें, जो 20 वर्षों से लंबित हैं।
कोरोना महामारी के दौरान इन्हीं एनएचएम कर्मियों के लिए देशभर में ताली-थाली बजाई गई थी।
प्रधानमंत्री ने हमें 'कोरोना योद्धा' कहा था, लेकिन आज भी हम संविदा में शोषित, उपेक्षित और पीड़ित हैं।
देश ने सम्मान दिया लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने हमें आज तक स्थायी नहीं किया, ना ही अधिकार दिए।

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प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी का बयान :
"सरकार से कई बार संवाद करने के बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ। यह प्रदर्शन केवल ध्यान आकर्षण नहीं, बल्कि सरकार के प्रति अंतिम चेतावनी है। यदि शीघ्र समाधान नहीं निकला, तो यह आंदोलन अनिश्चितकालीन होगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।"
दुर्ग जिलाध्यक्ष डॉ आलोक शर्मा ने बताया कि 20 सालों से लगातार हम मैदानों में काम कर रहे है दूसरे राज्य की तुलना में हमे कुछ सुविधा मिल रही,100 दिन का वादा कर के सत्ता में आई bjp अब हमारे वादे पूरे करे,अब डबल इंजन की सरकार है साथ मे बताया कि  प्रदेश के सभी 33 जिलों में हमारे 16,000 से अधिक साथियों ने आज कलेक्टरों के माध्यम से ज्ञापन सौंप दिए हैं। यदि 15 दिन में माँगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन उग्र रूप लेकर अनिश्चितकालीन किया जाएगा।"
-कर्मचारियों का आक्रोश :
सरकार बदल गई, पर संविदा कर्मियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
जनता, जनप्रतिनिधि, विधायक और सांसद लगातार अनुशंसा पत्र दे रहे हैं, लेकिन सरकार आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दे रही।


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