रायपुर। सीजीएमएससी की कार्यप्रणाली एक बार फिर विवादों में है। 8 महीने से जारी 108 की निविदा प्रक्रिया में अब सिर्फ एक बोलीदाता को काम सौंपने की तैयारी की जा रही है।
इसके लिए बाकायदा एक उच्च प्रशासनिक अधिकारी को अंधरे में रखकर इसकी पटकथा भी लिखी जा चुकी है।
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) ने तीसरी निविदा (Tender Ref. No. 194(R1)/CGMSCL/108 Sanjeevani Express/2025-26) की तकनीकी बोली खोलते हुए एकमात्र आवेदक कंपनी M/s EMRI Green Health Services (देवर यमजल, मेडचाल रोड, सिकंदराबाद-500078, तेलंगाना) को 95.4 अंक देकर “Eligible” घोषित कर दिया है। यह घोषणा पत्र संख्या 6051/CGMSCL/Technical/2025 दिनांक 27-11-2025 के जरिए की गई । अब केवल वित्तीय बोली खुलनी बाकी है और ठेका सीधे EMRI की झोली में डाल दिया जाएगा – बिना किसी प्रतिस्पर्धा के नियमों को ताक में रखकर।
सूत्रों की मानें तो EMRI ग्रीन ने इस बार वर्तमान दरों से करीब 35-40% अधिक बोली भरी है। इसके पीछे का कारण है कंपनी को पहले से पता था कि कोई दूसरा बोली लगाने वाला नहीं है। जब ठेका “पक्का” हो तो मनमाना दाम डालने में कैसा हर्ज ? नतीजा यह होगा कि छत्तीसगढ़ की जनता की गाढ़ी कमाई से हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये सीधे EMRI की जेब में जाएंगे
-नियमों की खुली धज्जियाँ – कानून को ठेंगा
छत्तीसगढ़ स्टोर खरीद नियम, केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के दिशानिर्देश और सामान्य वित्तीय नियम (GFR 2017) के नियम 173(x) में स्पष्ट लिखा है कि यदि किसी निविदा में केवल एक ही वैध बोली बचती है तो निविदा को रद्द करके पुनः निविदा (re-tender) निकालना अनिवार्य है। एकमात्र बोली को स्वीकार करना भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा माना जाता है और इसे सीधे-सीधे आपराधिक कृत्य की श्रेणी में रखा जाता है। फिर भी CGMSC ने आज खुलेआम इन सभी नियमों का उलंग्घन करते हुए एकमात्र बोली को न केवल खोला बल्कि उसे 95.4 अंक देकर “योग्य” भी घोषित कर दिया।
आठ महीने का पूरा काला खेल – हर कदम पहले से लिखा हुआ था
पहली निविदा (अप्रैल 2025) में 15 कंपनियों ने प्री-बिड में हिस्सा लिया और RFP पर गंभीर आपत्तियाँ दर्ज कीं। तकनीकी मूल्यांकन में CAMP ने 92, EMRI ने 87 और Jai Ambey ने 78 अंक हासिल किए। QCBS पद्धति के तहत CAMP को ठेका मिलना तय था। लेकिन ठीक वित्तीय बोली खुलने से एक दिन पहले CGMSC ने “तकनीकी कारणों” का बहाना बनाकर पूरी निविदा रद्द कर दी। CAMP द्वारा CGMSC को लिखित शिकायतें भेजीं – एक भी जवाब नहीं आया।
दूसरी निविदा (11 जुलाई 2025) में शर्तों को रातों-रात पूरी तरह EMRI के पक्ष में कर दिया गया। अनुभव के अंक बदले गए, टर्नओवर की सीमा ₹150 करोड़ से बढ़ाकर ₹200 करोड़ कर दी गई, 1001 एम्बुलेंस का एकल अनुबंध चलाने पर 15 अतिरिक्त अंक और 50 एम्बुलेंस प्रति अनुबंध जैसे नियम जोड़ दिए गए – ये सारी शर्तें देश में सिर्फ EMRI ग्रीन के पास थीं। 7 बड़ी कंपनियों ने प्री-बिड में लिखित-पत्र देकर बताया था कि ये शर्तें केवल एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए हैं, फिर भी एक शब्द नहीं बदला गया। अंत में सिर्फ EMRI ने बोली लगाई। इसके बावजूद 22 सितंबर को इस निविदा को भी रद्द कर दिया गया – सिर्फ इसलिए कि खेल को और पुख्ता किया जाए।
तीसरी निविदा (24 सितंबर 2025) में दूसरी वाली सभी पक्षपातपूर्ण शर्तें जस की तस रखी गईं। 8 से ज्यादा अनुभवी कंपनियों ने प्री-बिड मीटिंग में विस्तृत प्रस्तुतियाँ दीं, डाटा दिखाया, लेकिन CGMSC ने सभी को दरकिनार कर दिया। 16 अक्टूबर तक सिर्फ EMRI ग्रीन ने बोली डाली और आज 27 नवंबर को उसे 95.4 अंक देकर “Eligible” घोषित कर दिया गया।
*दूसरे राज्यों में चमक रही 108 सेवा, छत्तीसगढ़ में अंधेरा क्यों?*
राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, त्रिपुरा और उत्तराखंड जैसे राज्यों में कई कंपनियाँ 200 से 500 एम्बुलेंस तक सफलतापूर्वक चला रही हैं। इनका औसत प्रतिक्रिया समय 12-15 मिनट (शहरी क्षेत्रों में 8-10 मिनट) है, जान बचाने की दर 90% से ऊपर है, हर गाड़ी में GPS ट्रैकिंग, AI आधारित डिस्पैच, रियल-टाइम मॉनिटरिंग और ऑन-बोर्ड टेलीमेडिसिन की सुविधा है। ये सभी कंपनियाँ छत्तीसगढ़ की तीनों प्री-बिड मीटिंग में मौजूद थीं, इन्होंने लिखित में बेहतर तकनीक और कम दरों का प्रस्ताव रखा, लेकिन CGMSC ने इन सबको जानबूझकर बाहर का रास्ता दिखा दिया।
तीसरी निविदा की तकनीकी बोली खुलना: अब खुली लूट का
27 नवंबर 2025 को CGMSC ने पत्र संख्या 6051/CGMSCL/Technical/2025 जारी कर साफ कर दिया कि तीसरी निविदा (Ref. No. 194(R1)/2025-26) में सिर्फ एक बोलीदाता कंपनी M/s EMRI Green Health Services शामिल रही और उसे 95.4 अंक देकर “Eligible” घोषित कर दिया गया है। अब अगला कदम सिर्फ वित्तीय बोली खोलना है।
जब कोई दूसरा बोलीदाता ही नहीं बचेगा, तो EMRI जैसी कंपनी मनमाना दाम लिखकर बैठी है। उसे पहले से पता है कि ठेका किसी भी हाल में उसी को मिलेगा। ऐसे में वह जितना चाहे उतना ऊँचा रेट मांग सकती है। नतीजा – सरकार को मौजूदा दरों से कहीं ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। यह अतिरिक्त बोझ हर साल सैकड़ों करोड़ रुपयों का सीधा बोझ छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य बजट पर पड़ेगा।
और सबसे बड़ी बात – एकमात्र बोलीदाता वाली यह पूरी निविदा प्रक्रिया शुरू से अंत तक नियमों के खिलाफ है। छत्तीसगढ़ स्टोर खरीद नियम, CVC गाइडलाइंस और GFR के स्पष्ट प्रावधान हैं कि जब सिर्फ एक बोली बच जाए तो निविदा रद्द करके दोबारा टेंडर निकालना अनिवार्य है। एकमात्र बोली को स्वीकार करना कानूनन अवैध है। फिर भी CGMSC द्वारा खुलेआम नियमों को दरकिनार कर दिया गया।
डायल 108 की पूरी प्रक्रिया एक साजिश की ओर इशारा कर रही है। तीन-तीन बार निविदा रद्द करना, हर बार शर्तें सिर्फ EMRI के लिए बदलना, दूसरी कंपनियों को बाहर करना – सब कुछ पहले से प्लान था। मकसद सिर्फ एक था: किसी भी तरह EMRI को अकेले एंट्री दो, फिर मनमाना दाम वसूल लो।
-EMRI ग्रीन का काला इतिहास: कई राज्यों में ब्लैकलिस्ट, फिर भी छत्तीसगढ़ में ठेका?
EMRI ग्रीन हेल्थ सर्विसेज का नाम कई राज्यों में विवादों और ब्लैकलिस्टिंग से जुड़ा हुआ है। कर्नाटक में हाल ही में एम्बुलेंस घोटाले के आरोप लगे हैं, जहाँ कंपनी पर अनियमितताओं और मरीजों की जान जोखिम में डालने के लिए जुर्माना लगाया गया। उत्तर प्रदेश में 108 और 102 एम्बुलेंस सेवाओं का संचालन करते हुए साइबर अटैक का शिकार होने के बाद कंपनी की कमजोर सिस्टम पर सवाल उठे, जिससे आपातकालीन सेवाएँ ठप हो गईं। झारखंड, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में अदालती मामले चल रहे हैं, जहाँ EMRI पर अनुबंध उल्लंघन, खराब सेवा और भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इन राज्यों में कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने या अनुबंध रद्द करने की मांगें उठी हैं, क्योंकि उनकी सेवाओं से मरीजों की जान गई है। वहीं मेघालय में इस कंपनी को खराब सेवाओं के लिए सस्पेंड भी किया गया है। फिर भी CGMSC ने जानबूझकर इन्हीं विवादित कंपनी को प्राथमिकता दी, जबकि सक्षम कंपनियाँ बाहर कर दी गईं। यह सवाल उठाता है कि आखिर इतनी विवादास्पद कंपनी को छत्तीसगढ़ में आपातकालीन सेवाओं की जिम्मेदारी सौंपने की उत्सुकता क्यों दिखाई जा रही है?
-उच्च अधिकारी को अधूरी जानकारी देकर अप्रूवल करा लिया गया
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीजीएमएससी द्वारा इस टेंडर को पास करने के लिए उच्च प्रशासनिक अधिकारी के पास भी फ़ाइल को भेजा था। किन्तु उच्च अधिकारी को टेंडर की निमयों और तथ्यों से वाकिफ़ नहीं कराया था। अधूरी जानकारी देकर इस निविदा को अप्रूवल करा लिया गया।
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