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जज ने वकील बन जीता केस: बर्खास्त के बाद जज ने खुद की बहाली के लिए की वकालत, हाईकोर्ट ने सात साल बाद किया नियुक्त और भी
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 5 दिसम्बर 2024,  04:20 PM IST

बिलासपुर ।  छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का एक बड़ा और अनोखा मामला सामने आया है। जहां अपने को निर्दोष साबित करने के लिए एक महिला जज ने हाईकोर्ट में सात साल तक लड़ाई लड़ी। बता दें कि स्थायी समिति की अनुशंसा पर 7 साल पहले महिला जज को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके खिलाफ महिला जज ने याचिका दायर की थी।
इसी याचिका के साथ ही महिला जज ने वकील (ष्टत्र ॥द्बद्दद्ध ष्टशह्वह्म्ह्ल) बनकर खुद का केस लड़ा और कोर्ट में बहस की। इस केस में महिला जज ने जीत हासिल की है। इसके बाद विधि एवं विधायी विभाग और हाई कोर्ट में अपील की गई थी। इसी के साथ ही डिवीजन बेंच में भी महिला जज ने अपना पक्ष रखा। महिला जज के पक्ष में फैसला आने के बाद हाईकोर्ट ने अब उन्हें नियुक्ति दे दी है।
जानकारी के अनुसार बिलासपुर सरकंडा (ष्टत्र ॥द्बद्दद्ध ष्टशह्वह्म्ह्ल)  निवासी आकांक्षा भारद्वाज का चयन साल 2012'3 में सिविल जज परीक्षा में जज (प्रवेश स्तर) के पद पर हुआ। उन्हें दिसंबर 2013 को दो वर्ष की परिवीक्षा पर नियुक्ति मिली। उन्होंने 27 दिसंबर 2013 को पदभार संभाला। ऑफिस में एक सीनियर मजिस्ट्रेट के द्वारा उनके साथ अनुचित व्यवहार किया। हालांकि उन्होंने शिकायत नहीं की।
2014 में मिला स्वतंत्र प्रभार
आकांक्षा भारद्वाज को प्रारंभिक प्रशिक्षण (ष्टत्र ॥द्बद्दद्ध ष्टशह्वह्म्ह्ल) के उपरांत अगस्त 2014 में अंबिकापुर प्रथम सिविल जज वर्ग-2 के पद का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया। इस बीच अधिकांश सीनियर मजिस्ट्रेट का ट्रांसफर हो गया। ऐसे में अंबिकापुर में 4 ही सिविल जज बचे। सभी सिविल जज एक सीनियर मजिस्ट्रेट के अधीन थे।
महिला जज का आरोप था कि जब भी वे सीनियर मजिस्ट्रेट (ष्टत्र ॥द्बद्दद्ध ष्टशह्वह्म्ह्ल) के पास न्यायिक मामलों में कुछ मार्गदर्शन लेने जाती तो उनके साथ अनुचित व्यवहार होता था। इसकी शिकायत उन्होंने उच्चाधिकारियों से पहले मौखिक व बाद में लिखित शिकायत की। इस मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट ने आंतरिक शिकायत कमेटी बनाकर जांच कराई। इस कमेटी ने 6 अप्रैल 2016 को रिपोर्ट प्रस्तुत की।
आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट में सीनियर मजिस्ट्रेट (ष्टत्र ॥द्बद्दद्ध ष्टशह्वह्म्ह्ल) के खिलाफ महिला जज की शिकायत निराधार पाई गई। कमेटी की रिपोर्ट के खिलाफ महिला जज ने अपील की। जिसे 5 जनवरी 2017 को खारिज किया गया। इसके बाद हाई कोर्ट की सिफारिश पर आकांक्षा को 9 फरवरी 2017 को विधि-विधायी विभाग ने बर्खास्त कर दिया था।
बर्खास्त होने के बाद खुद लड़ा केस

महिला जज ने बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका (ष्टत्र ॥द्बद्दद्ध ष्टशह्वह्म्ह्ल) लगाई। इसके साथ खुद ही अपना पक्ष रखा। सिंगल बेंच ने मई 2024 में उनके पक्ष में फैसला दिया। बैक वेजेस के बगैर सिविल जज-2 के पद पर वरिष्ठता के साथ बहाल करने का आदेश जारी किया।
विधि एवं विधायी विभाग ने की थी अपील
इधर महिला जज के पक्ष में फैसला आने पर सिंगल बेंच (ष्टत्र ॥द्बद्दद्ध ष्टशह्वह्म्ह्ल) के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट और विधि एवं विधायी विभाग ने अपील की। महिला सिविल जज ने सिंगल बेंच के फैसले के एक हिस्से को चुनौती दी।
इस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में सुनवाई की गई। जहां हाई कोर्ट ने अपील मंजूर की। इसके बाद 3 दिसंबर 2024 को उनकी पोस्टिंग की गई। सोमवार को हाई कोर्ट से जारी तबादला और पोस्टिंग आदेश के तहत उन्हें महासमुंद में पोस्टिंग दी गई है।


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