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महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती एवं आर्य समाज के 150 वर्ष पूर्ण होने पर भव्य समारोह का आयोजन..
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 28 फरवरी 2025,  11:48 AM IST
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दुर्ग। महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती एवं आर्य समाज के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर छत्तीसगढ़ प्रान्तीय आर्य प्रतिनिधि सभा दुर्ग के तत्वावधान में 19-20 अप्रैल को भव्य समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर सभा के प्रधान डॉ. रामकुमार पटेल, मंत्री जीवर्धन शास्त्री (राजस्थान आर्य प्रतिनिधि सभा), रामनिवास धर्माचार्य (आर्य समाज मंदिर, सैनिक बिहार, नई दिल्ली) एवं सुनील कटारा (अखिल भारतीय दयानंद सेवाश्रम संघ आश्रम) ने पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार में योग गुरु स्वामी रामदेव से भेंट कर उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित किया।
-स्वामी रामदेव का उत्साहजनक समर्थन..
हरिद्वार में 25 दिसंबर को आयोजित इस भेंटवार्ता में स्वामी रामदेव जी ने छत्तीसगढ़ एवं आर्य समाज के ऐतिहासिक योगदान पर चर्चा की। उन्होंने आर्य समाज द्वारा समाज सुधार, वेद प्रचार एवं वैदिक संस्कृति के संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। स्वामी जी ने इस भव्य आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का आश्वासन भी दिया और इसे वैदिक संस्कृति के प्रचार-प्रसार में एक महत्वपूर्ण अवसर बताया।
-समारोह में होंगे विशेष कार्यक्रम..
महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती एवं आर्य समाज के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में दो दिवसीय कार्यक्रम के तहत अनेक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ आयोजित की जाएँगी। इस दौरान वैदिक यज्ञ, भजन संध्या, प्रवचन, वेद प्रचार अभियान, योग शिविर एवं सामाजिक सुधार विषयों पर संवाद आयोजित किए जाएंगे। साथ ही, देशभर के आर्य समाज प्रतिनिधि, विद्वान, संत एवं समाजसेवी इस आयोजन में शामिल होंगे।
-वैदिक संस्कृति के प्रचार में नई ऊर्जा..
इस आयोजन का उद्देश्य महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों को जन-जन तक पहुँचाना एवं आर्य समाज की शिक्षाओं को आगे बढ़ाना है। आर्य समाज के इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने के लिए छत्तीसगढ़ एवं देशभर से समाजबंधुओं को आमंत्रित किया जा रहा है। सभा के प्रधान डॉ. रामकुमार पटेल ने कहा कि यह आयोजन वेद प्रचार एवं समाज सुधार के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। इस भव्य आयोजन की तैयारियाँ जोरों पर हैं, और यह समारोह निश्चित रूप से आर्य समाज एवं वेद संस्कृति के उत्थान में एक नई चेतना का संचार करेगा।

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