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उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय में लाखों का घोटाला, जांच में बड़े खुलासे
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 5 मार्च 2025,  12:41 PM IST

उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय में लाखों का घोटाला, जांच में बड़े खुलासे

रायपुर। उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय में हुए लाखों के घोटाले की जांच दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी रही। जांच में सामने आया कि सहायक ग्रेड-2 कर्मचारी आकाश श्रीवास्तव ने अपर संचालक चंपकलाल देवांगन के डिजिटल हस्ताक्षर का दुरुपयोग कर वित्तीय हेरफेर की।

पहले दिन की जांच में यह खुलासा हुआ कि रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) के एक कर्मचारी को क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ बताकर उसके नाम से लाखों रुपये वेतन के रूप में निकाले गए। जांच पूरी न होने के कारण दूसरे दिन भी जांच जारी रही, जिसमें और भी गंभीर अनियमितताएं सामने आईं।

दस्तावेज किए गायब, जांच में हुई परेशानी

सूत्रों के अनुसार, आरोपी कर्मचारी ने सभी वित्तीय लेन-देन से संबंधित दस्तावेज कार्यालय से गायब कर दिए हैं। वेतन भुगतान, वेंडर भुगतान सहित किसी भी प्रकार के वित्तीय दस्तावेज क्षेत्रीय कार्यालय में नहीं मिले। इस वजह से जांच अधिकारियों को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा ऑनलाइन डेटा निकालकर जांच करनी पड़ी।

दो सत्र 2023-24 और 2024-25 में वित्तीय गड़बड़ियों की बात सामने आई है, जिसके चलते पूरी जानकारी निकालने में अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। जांच टीम में सहायक संचालक वित्त डीएस देवांगन और एकाउंटेंट आकाश दुबे शामिल थे।

फर्जी बिलिंग से लाखों की हेरफेर

जांच में खुलासा हुआ कि एक निजी कंपनी ने 7 हजार रुपये का वास्तविक बिल प्रस्तुत किया था, जिसे कर्मचारी ने फर्जी तरीके से 2 लाख रुपये में बदलकर भुगतान के लिए भेजा।

इसके अलावा, पेट्रोल बिल, बिजली बिल और अन्य मदों में भी लाखों रुपये की हेराफेरी की गई। आरोपी कर्मचारी अब तक फरार है, और विभाग ने न तो कोई सख्त कार्रवाई की है, न ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का भी आरोप

विभागीय कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आकाश श्रीवास्तव कई लोगों को नौकरी दिलाने का झांसा देता था। कई लोग उसे ढूंढते हुए कार्यालय भी पहुंचे थे।

आरोपी ने अपने वेतन खाते के अलावा एक अन्य बैंक खाता भी इन लेन-देन के लिए खुलवाया था। इस घोटाले के बाद उच्च शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर लंबे समय से चल रही अनियमितता अधिकारियों की नजर से कैसे बची?


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