दुर्ग (छत्तीसगढ़) । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के केलाबाड़ी स्थित राजऋषि भवन दुर्ग में होली का पावन पर्व अत्यंत हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर निराकार परमपिता परमात्मा "शिव" के महावाक्य के द्वारा होली के आध्यात्मिक रहस्य को स्पष्ट करते हुए वरिष्ठ राजयोगी शिक्षिका बी.के.रूपाली बहन ने बताया निराकार परमात्मा ने हम सभी को बताया है कि होली में सबसे पहले होलिका दहन करते हैं अर्थात् जलाया जाता है। दूसरे दिन रंगपंचमी होता है जिसमें एक दूसरे को रंग लगाते हैं। इसका आध्यात्मिक रहस्य है कि परमात्मा "शिव" जो की सर्व मनुष्य आत्माओं के परमपिता है वह नई सतयुगी सृष्टि के स्थापना का कार्य कर रहे हैं जहां सर्वत्र स्नेह, प्रेम, सुख, शांति, करुणा,दया चंहु ओर व्याप्त रहेगी।
इसलिए अभी स्वयं के अंदर जो भी नकारात्मक वृत्तियां है जो स्वयं व अन्य आत्मा को दुःखी करती है उसे इस होली में ज्ञान सूर्य परमात्मा की याद से दहन करना है अर्थात् उन वृत्तियों का अग्नि संस्कार करना है। जैसे व्यक्ति की मृत्यु होने के पश्चात उसको जलाते हैं जिसे संस्कार करना कहते हैं तो सभी नकारात्मक वृत्तियों का संस्कार कर जो हमारी मूल वृत्ति पवित्रता, सुख-शांति,आनंद,प्रेम की है उसे धारण करना है। साथ ही हर संकल्प व कर्म में परमात्मा के संग में रह परमात्मा के गुणों का रंग स्वयं भी लगाये व औरों को भी यह रंग लगाए जिससे यह सृष्टि सुख-शांति मय हो जाएगी ।
परमात्मा ने हमें बताया है कि यह सृष्टि कर्म क्षेत्र है जो करेगा सो पाएगा। इसलिए यदि हम स्वयं को परिवर्तन करते हैं तो परमात्मा कहते हैं कि आपको 21 जन्म तक संपूर्ण सुख शांति का स्वराज्य मिलेगा ।
इस कार्यक्रम में सभी आये हुए लोगों को बहनों ने परमात्मा स्मृति का तिलक लगाया और मुख मीठा कराया। इस अवसर पर होली के सुमधुर गीतों में कुमारी चंद्राणी युक्ति और जागृति ने अपनी मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी।
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