रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार (16 मार्च) को भारत के पहले हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक का निरीक्षण किया। आईआईटी मद्रास के युवा इंजीनियरों द्वारा तैयार 422 मीटर लंबे इस ट्रैक पर ट्रेन 1000 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ी। इंजीनियरिंग छात्रों का यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो दिल्ली से जयपुर और भोपाल से जबलपुर का सफर 30 मिनट से कम समय में पूरा होगा।
30 मिनट में 300 किमी का सफर
रेल मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर भविष्य के ट्रांसपोर्ट में इनोवेशन कर रही है। आईआईटी मद्रास में युवा इंजीनियरों की टीम ने हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक डिजाइन किया है। जिसमें वैक्यूम उत्पन्न होने पर पार्ट मैग्नेटिक लैविटेशन यानी ट्रैक के ऊपर नहीं, बल्कि ट्रैक से ऊपर उठ के चलेगा। इस तकनीक की मदद से 300 किमी की दूरी 30 मिनट में तय हो सकेगी।
1000 किलो वजन परिवहन कर सकेंगे
हाइपरलूप प्रोजेक्ट से जुड़े आईआईटी मद्रास के छात्र सचिन पांडेय ने बताया कि हमने जो पॉड डिजाइन किया है, वह 1000 किलो की परिवहन क्षमता का है। यानी उस पर लगभग 11 व्यक्ति या 1000 किलो वजन के सामान का परिवहन किया जा सकता है।
क्या है हाइपरलूप?
हाइपरलूप एक तरह से चुंबकीय तकनीक से लैस पॉड (ट्रैक) है। इसमें खंभों के ऊपर (एलिवेटेड) ट्रांसपैरेंट ट्यूब बिछाई जाती है। जिसके अंददर लंबी सिंगल बोगी हवा में तैरते हुए चलती है। घर्षण न होने से ट्रेन की स्पीड 1100 से 1200 किमी प्रति घंटे तक हो सकती है। इसमें बिजली की खपत और प्रदूषण भी कम होगा।
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