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राजनंदगांव और भी
जिला जल अभावग्रस्त घोषित, बोर खनन पर प्रतिबंध
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 22 मार्च 2025,  10:00 PM IST
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जिला जल अभावग्रस्त घोषित, बोर खनन पर प्रतिबंध, तीन ब्लाक सेमी क्रिटिकल जोन में

राजनांदगांव जिला जल अभावग्रस्त घोषित हो गया है। जिले के तीन ब्लाक सेमी क्रिटिकल जोन में हैं। शेष हिस्सों में भी वाटर लेवल 40 मीटर से नीचे चला गया है। यह गहरे जलसंकट के संकेत हैं। प्रशासन ने पूरे जिले में नए बोर खनन पर 30 जून तक प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसी स्थिति पहली बार बनी है।

शहर से लेकर गांव तक जलसंकट की स्थिति बन गई है। शिवनाथ में मौजूद पानी मोंगरा बैराज का रिजर्व पानी है। मार्च में ही जिला जल अभावग्रस्त घोषित हो गया है। जबकि अभी गर्मी का मुख्य दौर बाकी है। ऐसे में लोगों को पानी की फिजूलखर्ची से बचने की अपील की जा रही है। शहर में पहले ही 30 जून तक नए नल कनेक्शन पर रोक लगा दी गई है। सबसे चिंताजनक स्थिति राजनांदगांव, डोंगरगढ़ और डोंगरगांव ब्लाक में हैं। केंद्रीय जल बोर्ड के सर्वे में यह तीनों ब्लाक वाटर लेवल के लिहाज से सेमी क्रिटिकल जोन में हैं। किसानों से भी धान की सिंचाई के लिए नदी के पानी का उपयोग नहीं करने की अपील की जा रही है। वाटर लेवल रिचार्ज करने कई प्लानिंग भी बनाई जा रही। लेकिन पहली चुनौती गर्मी में पेयजल संकट से निबटने की बन गई है।

रबी सीजन में अभी भी धान लगाया जा रहा है। खासकर नदी के किनारे वाले गांवों में यह स्थिति है। ग्रीष्मकालीन धान के रकबे में 32 प्रतिशत की कमी का दावा प्रशासन का है। गत वर्ष जिले में 9336 हेक्टेयर में क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन धान की फसल ली गई थी। इस वर्ष 6348 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई हुई है, जो गत वर्ष की तुलना में 32 प्रतिशत कम है।

5 हजार एकड़ में धान, 42 हजार ट्यूबवेल चल रहे हैं जलसंकट के संकेत पहले ही मिलने लगे थे। जिला प्रशासन ने गर्मी में धान की फसल नहीं लेने की अपील की। इसके बाद भी जिले में करीब 5 हजार एकड़ रकबे में धान की फसल लगी है। प्रशासन के मुताबिक यहां 42 हजार से अधिक ट्यूबवेल से सिर्फ सिंचाई के लिए पानी खींचा जा रहा है। ये ट्यूबवेल 24 घंटे चल रहे हैं। इससे अलावा शिवनाथ नदी से भी पाइप लगाकर लगातार पानी खींचा जा रहा। इससे वाटर लेवल गिरने के साथ नदी भी सूख गई।

{ बिना टोटी के नल या फूटी पाइप देख निगम को सूचना दें। { पीने के पानी से गार्डन में सिंचाई या गाड़ी न धोएं । { नल या टैंकर से जरूरत के मुताबिक ही पानी लें । { ट्यूबवेल का इस्तेमाल भी कम से कम करें । { धान की फसल की सिंचाई निस्तारी के पानी से न करें।

टुल्लू पंप के इस्तेमाल पर होगी कार्रवाई, दिए निर्देश धीरी प्रोजेक्ट के 24 गांव में भी जलसंकट गहरा गया है। हाई कोर्ट ने यहां पानी के लिए टुल्लू पंप के इस्तेमाल पर कार्रवाई के लिए कलेक्टर को निर्देशित किया है। इसके बाद जिला प्रशासन ने विशेष टीम गठित की है। हाई कोर्ट ने टीम बनाकर गांवों का निरीक्षण करने का आदेश जारी किया है। जिला प्रशासन ने पानी के लिए टुल्लू पंप का इस्तेमाल नहीं करने की अपील लोगों से की है। इन 24 गांवों में टीम पहुंचकर जायजा लेगी। पंप इस्तेमाल करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

नदी की सफाई नहीं, वाटर हार्वेस्टिंग सिर्फ कागजों में शिवनाथ नदी की सूखने की बड़ी वजह सफाई भी है। लंबे समय से नदी में सफाई अभियान नहीं चला। नदी में गाद-गंदगी जमती चली गई। ज्यादातर हिस्सा उथला हो गया। इससे यहां पानी का भराव भी कम हो गया। जलभराव की मात्रा 60 फीसदी से कम हो गई। इधर ग्रामीण इलाकों में वाटर हार्वेस्टिंग के लिए कई योजनाएं तो बनी, लेकिन इस पर भौतिक रुप से अमल नहीं हुआ। हालात यह है कि औसत से अधिक बारिश के बाद भी वाटर लेवल में सुधार नहीं हो सका।


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