पूर्व मिस इंडिया वर्ल्ड पूजा चोपड़ा की वेब सीरीज ‘खाकी द बंगाल चैप्टर’ पिछले दिनों ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुई है। हाल ही में पूजा चोपड़ा ने इस सीरीज और करियर समेत पर्सनल लाइफ को लेकर मिडिया से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर चौकाने वाला खुलासा किया। पूजा ने बताया कि पैदा होते ही पिता ने मां से उन्हें मारने के लिए कह दिया था, लेकिन उनकी मां नहीं मानी और आज वह अपनी मां का नाम रोशन कर रही हैं। पेश है पूजा से हुई बातचीत के कुछ और खास अंश ..

सबसे पहले तो ये बताइए कि आपका किरदार सीरीज में क्या है और कैसे आप इस शो से जुड़ीं?
मेरा किरदार बहुत ही मॉडर्न इंडिपेंडेन्ट और इंटेलिजेंट घरेलू लड़की का है। बाकी में इस शो से कैसे जुड़ी इस पर यही कहूंगी कि नीरज पांडेय जी के साथ पहले भी मैंने दो प्रोजेक्ट्स किए हुए हैं। मेरा पहला था ‘आउस’ जो एक शार्ट फ़िल्म थी, उसे नीरज सर ने डायरेक्ट किया था। फिर मनोज वाजपेयी के साथ ‘अय्यारी’ आई। तीसरा ये प्रोजेक्ट है। इसके लिए जब मुझे कॉल आई तो मैं थाईलैंड में थी और अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रही थी।
कास्टिंग डायरेक्टर ने कहा कि ये नीरज सर का प्रोजेक्ट है। ‘खाकी 2’ है। तो मैं बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड हो गई क्योंकि मैंने इसका पहला पार्ट देखा हुआ था। फिर मैंने पूछा कि ऑडिशन कैसे भेजूं तो उन्होंने कहा कि नहीं इसकी कोई जरूरत नहीं क्योंकि आपने पहले भी उनके साथ काम किया हुआ है। आप हमारे लिए परफेक्ट कास्ट हैं। फिर तो यह मेरे लिए सेकेंड बेस्ट बर्थडे जैसा हो गया, क्योंकि पहला बेस्ट बर्थडे था जब मैं मिस इंडिया अप्रैल में और मई में मेरा बर्थडे आता है।

क्या क्या कुछ ब्रीफ मिला और क्या रेफरेंस लिए आपने किरदार को प्ले करने के लिए?
मेरे लिए नैरेशन ही काफी रहा। कोई रेफरेंस नहीं दिया गया। बस प्रिपरेशन के लिए बोला गया। इसके डायरेक्टर्स देबात्मा मंडल और तुषार कांति रे ने कहा कि ‘हम नहीं चाहते कि आप कोई भी होमवर्क करें। हमने आपका काम देख चुका है। हम हम जानते हैं कि आपको एक्टिंग आती है। आपमें पोटेंशिअल है, बाकी आप हम पर छोड़ दीजिए। हमें आपको जैसे सेट पर मोल्ड करना है, हम वैसे करेंगे तो आप बस क्लीन स्लेट आइए।
किरदारों के चयन को लेकर क्या कोई प्रायोरिटी सेट करके रखी है?
मुझे दूसरे एक्टर्स का तो नहीं पता लेकिन मेरे लिए हमेशा जो मैंने प्लान किया है ना कि मुझे अभी ऐसे टाइप के रोल्स करना है या वैसे नहीं करना है। वैसे प्लान के हिसाब से मेरी लाइफ और रोल्स कभी किए ही नहीं है। मैंने प्लानिंग करना बंद ही कर दिया है। बस मैंने ‘हेट स्टोरी’ टाइप की फिल्मों से परहेज किया है। मेरा क्लियर है कि मेरे को वैसे स्पेस की कोई फिल्म नहीं करना। बाकी तो किसी भी तरह के रोल्स और स्क्रिप्ट्स के लिए मैं हमेशा ओपन हूं। बाकी मुझे सबसे पहले तो स्क्रिप्ट समझ आनी चाहिए और पसंद आनी चाहिए। यही प्रायोरिटी होती है। सिर्फ नाम के लिए तो किसी प्रोजेक्ट में खड़ा नहीं रखा जा रहा। इसका ध्यान जरूर रखती हूं।
काम पाने के लिए सेल्फ अप्रोच रहता है या ऑफर्स खुद-ब-खुद आते हैं?
मैं आउटसाइडर हूं। यहां पर मेरे कोई चाचा, मामा, अंकल-आंटी तो है नहीं जो मुझे पार्टीज में या फिर ब्रेकफास्ट में इंट्रोड्यूस कराएंगे और दुर्भाग्य से मैं न ही ज्यादा खुद को सोशलाइज करती हूं। मुझे कभी किसी की पार्टी में, किसी के कैंप में या फिर किसी फिल्मफेयर अवॉर्ड में कभी कोई नहीं देखेगा। मेरा ये सर्किल है नहीं, तो जिन डायरेक्टर्स के साथ मैं काम करना चाहती हूं। चाहे नीरज पांडे हो गए, चाहे शूजित सरकार हो गए, इनको मैं आगे से मैसेज करती हूं कि मैंने आपकी ये फ़िल्म देखी या मैं आपकी बहुत बड़ी फन हूं। मैंने यह काम किया हुआ है और मैं आपके साथ काम करना चाहती हूं। आमतौर पर 100 प्रतिशत जिनको भी मैंने अप्रोच किया है, उनसे पॉजिटिव रिस्पॉन्स ही आया है।

आगे वेब सीरीज या फिल्मों के मामले में क्या है आपके पास?
बहुत सारी उम्मीदें, बहुत सारे सपने हैं। बाकी ऑफर तो आते रहते हैं, लेकिन उस लेवल काम भी तो हो। अब जैसे बहुत सारे लोग कहते हैं कि पूजा ‘खाकी 2’ तो तुम्हारा कमबैक है, तो मैं कहती हूं कि मैं गई ही कहां थी। हां, मैं प्रोजेक्ट कम करती हूं, क्योंकि मुझे गिने-चुने अच्छे ऑफर्स आते हैं। जो फिल्मों, जो स्क्रिप्ट मुझे नहीं पसंद आतीं, पर्सनली मैं उनको करने के लिए हां नहीं कह पाती क्योंकि मुझे पता है कि मैं उस कैरेक्टर को जस्टिस नहीं दे पाऊंगी, क्योंकि मेरा दिल उसमें नहीं है। कई लोग क्वालिटी में बिलीव करते हैं तो कोई क्वांटिटी में। आई थिंक मैं क्वालिटी में ज्यादा भरोसा रखती हूं।
‘मिस इंडिया’ जीतने के बाद किस तरह का संघर्ष रहा?
‘मिस इंडिया’ जीतने और ‘मिस वर्ल्ड’ में बहुत अच्छा नाम करने के बाद भी मुझे ऑडिशन देना पड़ा। मैं आपको 2012 के बाद की बात बता रही हूं। पहले भी ऑडिशन जरूरी था, आज तो और ज्यादा जरूरी हो गया है, क्योंकि आज की ऑडियंस बहुत ज्यादा समझदार है। अगर आप अच्छी परफॉर्मेंस नहीं देंगे तो चाहे आप किसी के भी बेटे हों या बेटी हों या फिर मिस यूनिवर्स हों। दर्शकों को कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर आप स्क्रीन पर अच्छा किरदार निभा रहे हैं तो आपको लोग एक्सेप्ट करेंगे, वरना आपको ट्रैश कर देंगे।
अभी इतने सारे कॉम्प्टीशन रहे हैं, ब्यूटी पेजेंट से जुड़े हुए। हर फिल्म मेकर को एक नए चेहरे की तलाश भी है। ऐसे में खुद का सर्वाइवल कैसे बनाए रखती हैं?
मुझे बाकी लड़कियों के बारे में नहीं पता, लेकिन जहां तक मेरा सवाल है, मेरा प्रॉब्लम सर्वाइवल नहीं है। मेरा प्रॉब्लम है अच्छी स्क्रिप्ट। इससे पहले जो फ़िल्म मैंने कीं, जैसे ‘जहां चार यार’, ‘बबलू बैचलर’ या फिर ‘कमांडो’ इन्हें मैंने सिर्फ अच्छी कहानी के कारण चुना। आज की तारीख में भी मैं चाहूं तो पांच फिल्में साइन साइन कर सकती हूं और अगले 2 साल तक बैठ के खा सकती हूं, लेकिन मेरी प्रॉब्लम क्वालिटी है, मुझे बस अच्छी स्क्रिप्ट चाहिए। बाकी कमर्शियल सर्वाइवल की भी बात कर रहे हैं, तो मैंने आज तक अपने आपको इतना मेंटेन किया हुआ है कि कोई दिक्कत नहीं आई।

यदि एक्टिंग को लेकर ही आप पैशनेट हैं तो फिर हिंदी के अलावा भोजपुरी या टॉलीवुड में क्यों नहीं एक्ट कर लेतीं?
नहीं, कभी मेरी ऑप्शन में नहीं था और ना ही है। मुझे 2011 में साउथ से तमिल फिल्म ‘पोन्नार शंकर’ मिली थी। वह बहुत ग्रैंड स्केल की थी। करीब 60 करोड़ की फिल्म थी। यह तब के चीफ मिनिस्टर थे एम करुणानिधि ने लिखी थी। त्यागराजन शिवानंदम ने इसका निर्देशन किया था। मैं उसमें एक प्रिंसेस का रोल प्ले किया था। पर सच कहूं तो मुझे वहां एक्टिंग में बहुत मजा नहीं आया, क्योंकि मुझे भाषा समझ नहीं आई।
मुझे ये नहीं है कि सिर्फ फिल्में ही करनी है। मुझे मजा भी करना है। मेरा दिल जब तक मेरे किसी भाषा को एक्सेप्ट नहीं करेगा, उस भाषा में परफॉर्म नहीं कर पाऊंगी। अगर परफॉर्म नहीं कर पाऊंगी तो आधा काम करने जैसा होगा। मुझे रात को नींद भी नहीं आएगी।
आपको मिस इंडिया में ‘ब्यूटी विथ द पर्पस’ टाइटल मिला था। क्या उस पर आज भी सोशल वर्क करती हैं?
मुझे लगता है कि वो पर्पस ही ऐसा है कि उससे अलग नहीं हो सकते। मैं आज भी उस कॉज (नन्हीं कली) के लिए मदद करती हूं। उस कॉज के तहत उन बच्चियों की मदद की जाती है, जिन्हें उनके पैरेंट्स छोड़ देते हैं। रेड लाइट एरिया की जो लड़कियां होती हैं, गरीब परिवारों से ताल्लुक रखती हैं उनकी पढ़ाई-लिखाई करवाना आदि काम हम करते हैं।
एक कैंपेन के जरिए 18 साल तक या उसके बाद उन बच्चियों को जो फर्दर एजुकेशन चाहिए होती है। उसके लिए सपोर्ट करना होता है। मैं इससे इसलिए भी जुड़ी हूं क्योंकि मेरे खुद के फादर ने मुझे एक समय एक्सेप्ट करने से मना कर दिया था, क्योंकि उन्हें लड़का चाहिए था। उन्होंने मेरी मां को सीधे कहा था कि इसे अनाथ आश्रम में छोड़ दो या मार दो, क्योंकि एक लड़की हमारे पास है, हम सिर्फ दो बच्चे कर सकते हैं, अगला हमको लड़का चाहिए। तब मेरी मां ने ऐसा करने से मना कर दिया और पापा से अलग होकर मेरी परवरिश की।
आज उन्होंने हम दोनों बहनों को इस काबिल बनाया कि हम मुंबई जैसे शहर में इस मुकाम पर हैं। मैंने अपनी मां का नाम भी रौशन किया। मैं जब मिस इंडिया बनी थी तो काफी बड़ी स्टोरी बन गई थी और मेरी मम्मी के काफी ज्यादा इंटरव्यू लिए जा रहे थे। लाइव इंटरव्यूज वो भी घर के नीचे, ढेर सारी ओबी वैन खड़ी होती थीं आकर। उस समय मम्मी एक हीरो की तरह लग रही थीं, क्योंकि मम्मी ने बहुत ही मजबूत कदम उठाया था।

अब तक के करियर और इस फील्ड में सक्सेस के सेटिस्फेक्शन पर आपका क्या कहना है?
चाहे किसी के लिए अच्छा हो या न हो मेरा करियर ग्राफ, पर मुझे पता है कि मैंने जो किया है, जहां मैं बैठी हूं वो अपने दम पर किया है। एक वक्त हमें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं थी। आज मैं मुंबई में मेरी मां का सपना पूरा करके खुद का घर लेकर बैठी हूं। आज मेरी मां गाड़ी से उतरती हैं। आज हम उन्हें विदेश ले जाते हैं, हॉलिडे मनाने। ऐसा मेरी मां ने 40 साल पहले तो सोचा भी नहीं होगा कि आज मेरी बेटियां इतनी बड़ी हो जाएंगी कि मुझे प्राउड फील कराएंगी। अपने करियर के लिए इतना ही कहूंगी जो किया है अपने दम पर किया है।
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