कवर्धा। भोरमदेव महोत्सव का शुभारंभ इस बार एक अद्वितीय और भक्तिमय प्रस्तुति के साथ हुआ, जब अंतर्राष्ट्रीय भजन गायक हंसराज रघुवंशी ने अपनी मधुर आवाज़ और भक्ति गीतों से मंदिर परिसर को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके बाबा भोरमदेव और भोलेनाथ बाबा भजनों ने न केवल भक्तों के दिलों में श्रद्धा और आस्था को और मजबूत किया, बल्कि महोत्सव का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी और बढ़ा दिया। मेरा भोला है भंडारी....., ऐसा डमरू बजाया भोले नाथ रे....., शिव समा रहे मुझमें और मैं शुन्य हो रहा हू....., पार्वती बोले शंकर से........., युग राम राज का आ गया..... सहित अनेक भजनों ने भोरमदेव महोत्सव के वातावरण को एक दिव्य आभा से भर दिया।
जिससे श्रद्धालुओं को एक गहरी आध्यात्मिक अनुभूति हुई। श्री रघुवंशी के भक्ति गीतों ने श्रद्धालुओं को शांति और आस्था से भर दिया, और भव्य आयोजन का अहसास कराया। महोत्सव का वातावरण अब भक्तिमय, उल्लासपूर्ण और एक नई ऊर्जा से भरपूर था, जिसमें हर कोने में भक्ति की तरंगें गूंज रही थीं। श्रद्धालु और भक्तगण एक साथ मिलकर इस महोत्सव का आनंद ले रहे थे, जो भक्ति, शांति और समर्पण का सजीव उदाहरण बन चुका था।
भोरमदेव महोत्सव में छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक अनुराग शर्मा ने भी अपने संगीत से माहौल को और भी शानदार बनाया। उनका गायन और संगीत छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति के प्रति लोगों की श्रद्धा और प्रेम को और गहरा कर गया। भोरमदेव महोत्सव में बैगा नृत्य, फाग गीत, छत्तीसगढ़ी लोककला के साथ स्कूली बच्चों ने दी मनमोहक प्रस्तुति भी दी। महोत्सव में छत्तीसगढ़ की पारंपरिक कला और संस्कृति का अद्भुत संगम भी देखने को मिला। महोत्सव में स्थानीय स्कूलों के विद्यार्थियों द्वारा भी मनमोहक प्रस्तुतियां दी गई, जो युवाओं की कला और संस्कृति के प्रति समर्पण का प्रतीक बनी। इसके अलावा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों को छत्तीसगढ़ की विविधता से परिचित कराया।
इस मौके पर प्रसिद्ध कलाकारों ने अपनी कला से मंच को सजा दिया। श्रीमती बसंताबाई और साथी ने बैगा नृत्य, सुश्री गितिका बांसुरीली ने बांसुरी वादन, सुश्री ईशिका गिरी और रितीलाल ने कत्थक नृत्य, श्रीमती गोपा शान्याल ने संगीत गायन, श्री प्रभंजन चतुर्वेदी ने भजन गायन, श्रीमती संगीता चौबे ने भरत नाट्यम, और प्रमोद सेन और उनके साथी ने छत्तीसगढ़ लोक कला मंच गहना गाठी की शानदार प्रस्तुति दी। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से दर्शकों को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता, पारंपरिक नृत्य और संगीत का अद्भुत अनुभव हुआ।
महोत्सव के इस पहले दिन का आयोजन केवल एक मनोरंजन का अवसर नहीं था, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करने और आने वाली पीढ़ियों को इससे परिचित कराने का एक महत्वपूर्ण प्रयास भी साबित हुआ। भोरमदेव महोत्सव का यह अद्भुत आयोजन न केवल भक्तिरस में डूबे हुए था, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का भी महत्वपूर्ण कदम था। यह आयोजन हर वर्ष एक नई ऊर्जा और उमंग लेकर आता है, और आने वाले दिनों में भी इस महोत्सव की महिमा और लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि हो रही है। भोरमदेव महोत्सव ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के उत्सव के रूप में उभरा। उद्घाटन के पहले दिन प्रदेशभर से आए श्रद्धालुओं और दर्शकों की भारी भीड़ ने आयोजन में भाग लिया, जिससे आयोजन स्थल पर एक उत्सवमय और भक्तिमय वातावरण बन गया। मंदिर परिसर में भक्ति की यह अलौकिक लहर इस महोत्सव की प्रमुख विशेषता बन गई।
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