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हरियाणा में मौसम की मार: खेतों में जलती उम्मीदें, मंडियों में भीगता अनाज
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 20 अप्रैल 2025,  07:45 PM IST
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हरियाणा में मौसम की मार: खेतों में जलती उम्मीदें, मंडियों में भीगता अनाज

हरियाणा का मौसम इन दिनों किसानों की सबसे बड़ी दुश्मन बन गया है। कभी चिलचिलाती गर्मी, तो कभी अचानक से आंधी-तूफान और बरसात — इस बदलते मिजाज ने प्रदेश के अन्नदाताओं की नींद उड़ा दी है। इंसान तो जैसे-तैसे मौसम की मार सह लेता है, लेकिन खेतों की हरियाली इसे झेल नहीं पा रही। खेतों में पकी फसलें या तो बारिश से भीग रही हैं या आग की लपटों में राख हो रही हैं। किसान मजबूर हैं, और हालात इतने बदतर हैं कि खेतों में बिछी फसलों को देख खुद किसानों की आंखें नम हो जाती हैं।

आग और आसमान—दोनों से तबाह हुआ हरियाणा का किसान

बीते कुछ दिनों में आग लगने की घटनाओं ने हरियाणा के कई जिलों को झकझोर कर रख दिया है। करीब 900 एकड़ फसल जलकर खाक हो गई। सबसे ज्यादा नुकसान झज्जर (200 एकड़), कुरुक्षेत्र (57 एकड़), और जींद, यमुनानगर, सिरसा, हिसार, फतेहाबाद और भिवानी जिलों में हुआ। रिपोर्ट्स बताती हैं कि अधिकतर घटनाएं बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट की वजह से हुईं।

सीएम नायब सैनी ने इस हालात को गंभीरता से लेते हुए कृषि विभाग को तत्काल रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया है। उधर, किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें इस विपदा से कुछ राहत मिल सके।

मंडियों में इंतजार में पड़ी फसलें भीगकर हो रही बर्बाद

दूसरी ओर, सरकारी खरीद में देरी ने किसानों की मुसीबत और बढ़ा दी है। कई जिलों में गेहूं की खरीद प्रक्रिया पूरी तरह शुरू नहीं हो पाई, और इस बीच हुई बारिश ने मंडियों में पड़ा हजारों क्विंटल अनाज भीगने पर मजबूर कर दिया।

जहां एक ओर किसान कड़ी मेहनत से उपजी फसल को बेचने मंडियों तक ला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी एजेंसियों की तैयारी अधूरी है। नतीजा ये कि खरीद की रफ्तार धीमी है और मंडियों में भीगते अनाज से किसानों को दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है।

सवाल खड़े करती अव्यवस्था

बारिश से बचाव के लिए मंडियों में ढांचागत सुविधाओं का अभाव और अनाज को ढकने की उचित व्यवस्था न होना प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद का भरोसा तो दिलाया गया, लेकिन हालात बताते हैं कि व्यवस्था और जमीनी सच्चाई में अब भी बड़ा अंतर है।

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