नगर निगम दुर्ग विवादों में घिरा! छोटे कर्मचारियों पर अत्याचार की दोहरी कहानी सामने आई
दुर्ग, छत्तीसगढ़ | विशेष रिपोर्ट – ज्वाला एक्सप्रेस न्यूज़
दुर्ग नगर निगम एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है। एक ओर प्लेसमेंट पर कार्यरत टैक्स वसूली कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के कार्य से निकाल दिया गया और दो माह का वेतन भी दबा लिया गया, वहीं दूसरी ओर निगम के स्थायी कर्मचारी लीलाधर नायक ने मानसिक प्रताड़ना और शोषण का गंभीर आरोप लगाते हुए नगर निगम के राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पर सीधे कलेक्टर दुर्ग से शिकायत की है।
पहला मामला – बगैर वेतन, बगैर गलती, नौकरी से बाहर!
नगर निगम में टैक्स वसूली के लिए नियुक्त पाँच प्लेसमेंट कर्मचारियों – अग्निमित मिश्रा, महेश पाते, विजय राजपूत, विनीत रामो और राकेश कुमार – को 23 जनवरी 2025 को अचानक बिना पूर्व सूचना कार्य से हटा दिया गया। ID बंद कर दी गई, और दो माह (नवम्बर 2024 से जनवरी 2025) का वेतन आज तक नहीं दिया गया।
इन कर्मचारियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि सहायक राजस्व अधिकारी शुभम गोईर और राजस्व अधिकारी आर.के. बोरकर के निर्देश पर उन्हें कार्य से निकाला गया, जबकि अन्य प्लेसमेंट कर्मचारी अभी भी काम कर रहे हैं। जब वेतन के लिए संपर्क किया गया, तो उन्हें कहा गया, “इस काम को ट्रेनिंग मान लो।”
शिकायत में संलग्न: नियुक्ति पत्र, वसूली रसीदें, और ID बंद करने का आदेश।
दूसरा मामला – बीमार कर्मचारी से मानसिक प्रताड़ना!
दूसरी ओर, नगर निगम के भृत्य लीलाधर नायक ने एक सनसनीखेज आरोप लगाया है। उन्होंने कलेक्टर को सौंपे गए आवेदन में बताया कि 29 मार्च से 31 मार्च 2025 तक की सरकारी छुट्टियों को राजस्व विभाग के अधीक्षक राजकमल बोरकर ने “अनाधिकृत अनुपस्थिति” घोषित कर दिया। लीलाधर नायक 2010 से एड्स जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और उनका कहना है कि उनकी हालत के बावजूद उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
उन्होंने चिकित्सा प्रमाणपत्र के साथ आवेदन प्रस्तुत कर निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है। यह मामला अब निगम में मानवता बनाम हुकूमत का बन चुका है।
जब ज्वाला एक्सप्रेस न्यूज़ ने इस संबंध में अधीक्षक श्री बोरकर से संपर्क किया, तो उनका कहना था कि उन्हें इस शिकायत की जानकारी नहीं है।
वहीं निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल ने पुष्टि की कि “शिकायत प्राप्त हुई है और इस पर निष्पक्ष जांच की जाएगी।”
निगम में भय का वातावरण!
नगर निगम दुर्ग में यह कोई पहला मामला नहीं है। समय-समय पर छोटे कर्मचारियों द्वारा यह शिकायतें आती रही हैं कि उनसे निजी कार्य करवाए जाते हैं या बिना वजह उन पर दबाव बनाया जाता है। उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से जब अन्याय होता है, तो कर्मचारी आवाज उठाने में डरते हैं क्योंकि उन्हें ही निशाना बनाया जाता है।
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