दुर्ग। देश में पहली बार इम्पोर्टेड सीमन विदेश से लाया गया है। जो अब तक का सबसे महंगा सीमन है। कुछ दिनों पहले ही इसे ब्राजील से हवाई मार्ग के रास्ते चेन्नई और फिर वहां से छत्तीसगढ़ के दुर्ग वीर्य संग्रहाल में सुरक्षित रखा गया है। यह फ्रोजन सीमन है, जिसे लिक्विड नाइट्रोजन में सुरक्षित रखा गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, यह सीमन ब्राजील के गायों के नस्ल गिरलैंडो प्रजाति के सांड का सीमन है। जो बेहद खास है। यह अब तक का सबसे महंगा सीमन है। ऐसे तो सामान्य सांडो के सीमन की कीमत 30 रुपए प्रति डोज से लेकर 80 रुपए तक होती है। सेक्ट शॉर्टेज सीमन की कीमत 639 रुपए है। लेकिन गिरलैंडो के सीमन के प्रति डोज की कीमती करीब 1384 रुपए है। 500 डोज केंद्र सरकार ने ब्राजील से मंगाकर छत्तीसगढ़ को दिया है। इस सीमन से प्रदेश के गिर प्रजाति के गायों को कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से गर्भवती गिरलैंडों प्रजाति के बच्चे का जन्म कराया जाएगा। ताकि यह प्रजाति हमारे यहां भी हो और इसकी संख्या बढ़े। ताकि आने वाले वर्षों में प्रदेश में बढ़ती दू्ध की मांग को पूरा करने के लिए दूध उत्पादन को बढ़ाया जा सके।
जानिए गिरलैंडो प्रजाति की खासियत
प्रजाति पर ब्राजील के वैज्ञानिकों ने वर्षों को तक शोध किया। कई जैनेटिक परिवर्तन किए। इससे एक नई प्रजाति तैयार किए। जिसका नाम गिरलैंडो रखा गया। यह गाय ठंड, गर्मी, बारिश सभी मौसम में अपने आप को ढाल लेते है। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। जल्दी बीमार नहीं पड़ते और सबसे खास बात यह एक दिन में 80 लीटर तक दूध देती है। इसलिए केंद्र सरकार ने इस प्रजाति के सांड का सीमन भारत लाया है।
भारत की गीर प्रजाति से ही गिरलैंडो बना
वीर्य संग्रहालय के डायरेक्टर डॉ. संजीव सहत्रबुद्धे ने बताया कि, भारत के गिर नस्ल की गाय आजादी से पहले ब्राजील भेजी गई थी। गिरोलेंडो गाय ब्राजील की हॉलिस्टन और गिर की मिक्सब्रीड है। जो संभवता विश्व की सबसे ज्यादा दूध देने वाली गायों में से एक है। दुर्ग सहित छत्तीसगढ़ में देशी (कोसली), एचएफ, गिर, जर्सी, साहीवाल आदि प्रजाति है। लेकिन यह सब इतना दूध नहीं देती। हालाकि यहां इनता दूध उत्पादन के लिए देख-रेख और खान-पान में भी ध्यान देना होगा। जब गिर ब्राजील पहुंची तो वहां के वैज्ञानिको ने अपनी हॉलिस्टन नस्ल के साथ मिलाकर गिरोलेंडो नस्ल को तैयार किया। कुछ जैनेटिक परिवर्तन भी किए। जिससे यह गाय सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय बन गई।
सांड लाने से अच्छा वीर्य ला रहे
वीर्य संग्रहालय के डायरेक्टर डॉ. संजीव सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि, सांड लाएंगे तो ज्यादा परेशानी है। उसे लाने के बाद उसका देख-रेख और फिर बच्चे पैदा कराना कठिन काम है। इसलिए सरकार ने फ्रोजन सीमन लाने की योजना बनाई है। इससे एक बार में ही कृत्रिम गर्भधान करके सैकड़ों गायों को गर्भवतिकर कई बच्चे पैदा करवा सकते हैं। किसी भी प्रजाति को पूरी तरह से बनने में 7 पीढ़ी लग जाता है। फ्रोजन सीमन आएगा। उसे लैब में लिक्विड फाम में बदलेगे। फिर उसे जिस गाय को प्रेगनेट करना होगा, उसमें मशीन से कृत्रिम गर्भाधान करवाएंगे। इससे जो बच्चा जन्म लेगा, उसमें दोनों प्रजाति का प्रजाति का 50-50 प्रतिशत गुण होगा। यह यह बड़ी होगी तो उसमें फिर प्रयोग करेंगे। ऐसा करते-करते 7 पीढ़ी में जो बच्चा जन्म लेगा वह पूरी तरह से गिरलेंडो होगा।
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