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NEET-UG 2024 में बिजली गुल विवाद: इंदौर हाईकोर्ट में अंतिम बहस पूरी, कोर्ट ने फैसला किया आरक्षित
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 23 जून 2025,  07:01 PM IST
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CCTV फुटेज में नजर आई बिजली गुल और बारिश की स्थिति, छात्रों ने मांगा रिएक्जाम का मौका

रिपोर्ट: ज्वाला एक्सप्रेस न्यूज, इंदौर

इंदौर। 4 मई को आयोजित NEET-UG 2024 परीक्षा के दौरान बिजली गुल और पावर बैकअप की कमी को लेकर दायर याचिका पर सोमवार को इंदौर हाईकोर्ट में अंतिम बहस हुई, जिसमें दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट में बिजली गुल और तेज बारिश के सीसीटीवी फुटेज भी पेश किए गए, जिन्हें कोर्ट ने स्वयं देखा।

याचिकाकर्ता छात्रों की ओर से अधिवक्ता मृदुल भटनागर ने अदालत को बताया कि इस घटना से प्रभावित छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है और अब तक 100 से अधिक छात्रों के परिणाम प्रभावित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि कई केंद्रों पर पावर बैकअप की समुचित व्यवस्था नहीं थी, जिससे छात्रों को परीक्षा के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उनके भविष्य पर संकट खड़ा हो गया। अधिवक्ता ने कोर्ट से इन छात्रों को पुनः परीक्षा (रिएक्जाम) का अवसर देने की मांग की।

वहीं, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की ओर से भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वर्चुअली सुनवाई में शामिल हुए। उनके साथ पैनल वकील रूपेश कुमार और डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमेश दवे प्रत्यक्ष रूप से कोर्ट में उपस्थित थे। NTA की ओर से बताया गया कि परीक्षा केंद्रों पर पावर बैकअप की व्यवस्था थी और 75-80 छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा कराना उचित नहीं होगा।

छात्रों की ओर से इसका प्रबल विरोध किया गया। अधिवक्ता भटनागर ने बताया कि खुद NTA के एक सेंटर ऑब्जर्वर की रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया है कि कई केंद्रों पर जनरेटर नहीं थे और रोशनी की भी कमी थी। उन्होंने कोर्ट से उज्जैन के 6 परीक्षा केंद्रों की रिपोर्ट पेश करने की भी अनुमति मांगी, जहां बिजली कटौती के कारण परीक्षा बाधित हुई थी।

बता दें कि NTA ने NEET-UG 2024 का परिणाम जारी कर दिया है, लेकिन कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले 75 छात्रों का रिजल्ट होल्ड पर रखा गया है

इससे पहले इस मामले में 9 जून को पिछली सुनवाई हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों की प्रारंभिक दलीलें पेश की गई थीं।

अब सभी की नजरें इंदौर हाईकोर्ट के आने वाले फैसले पर टिकी हैं, जो न केवल प्रभावित छात्रों के भविष्य को तय करेगा, बल्कि परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी एक महत्वपूर्ण टिप्पणी हो सकती है।

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