राजिम। नवापारा शहर से लगे हुए छोटा सा गांव पटेवा है, जहां सैकड़ों वर्ष पहले तालाब की खुदाई में स्वयंभू मां कंकालिन देवी की प्रतिमा निकली थी। ये गांव पंचकोशी धाम के नाम से पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्धि पाया हुआ है। सावन और पौष में पंचकोशी यात्रा पटेवा के पटेश्वरनाथ महादेव की पूजा और दर्शन के बिना पूरा नही होता। एक तरह से इस सौभाग्यशाली गांव में शिव और शक्ति दोनो के दर्शन होते है। तालाब की खुदाई में माताजी की मूर्ति के अलावा पुरातत्व के बहुत सारे अवशेष उपलब्ध है। मसलन चक्र, गणेश जी का सिर कटा, दो हाथ वाला गणेश जी, जलहरि सहित रहस्यमय पत्थर शामिल है। जनश्रुति के अनुसार, इस गांव की आबादी जब काफी कम थी और चारों तरफ घना जंगल था। तब एक दिन सायंकाल इस गांव के कुछ ब्राम्हण और तारक परिवार के बुजुर्ग बैठे थे। तभी एक भैंसा जो कीचड़ से सना हुआ था। जिनके सिंगो में पानी में मिलने वाले घास-फुंस लगा हुआ था, वह दौड़ते हुए आया। बैठे हुए लोगों ने तब अंदाजा लगाया कि, इस दिशा में कहीं न कहीं पानी का श्रोत है। अगले दिन गांव के लोग वहां जाकर देखे तो एक छोटा सा डबरी दिखाई दिया। यह डबरी गर्मी के दिन में पूरी तरह से सुख गया था। तब ग्रामीणों ने उस डबरी की खुदाई शुरू की, तो वहां पर खुदाई से पुराने जमाने के मंदिर के पत्थर के कलश, स्तंभ और देवी की यह मूर्ति मिली। कालांतर में माता कंकालिन की मूर्ति को पर्णकुटीर बनाकर स्थापित किया गया और पूजा-पाठ शुरू की गई। धीरे-धीरे दान दाताओं ने पर्णकुटीर में दो कमरो का निर्माण करा दिया जो आज एक भव्य मंदिर का रूप ले चुका है और वही डबरी बड़ा तालाब के रूप में विकसित हो गया है। पुजारी बोले- बड़ी संख्या में आतें है श्रद्धालु मंदिर के पुजारी शिवनाथ तारक ने बताया कि, वह सातवीं पीढ़ी का पुजारी है। इसके पहले उनके बाप, दादा, परदादा यहां पुजारी के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके है। यहां माता कंकालिन साक्षात बिराजी हुई है। लोग मान्यता लेकर दूर-दूर से यहां आते है। उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। निकुंभ गांव की एक विवाहिता जिनके बच्चे नही हो रहे थे, यहां आकर मन्नत की फिर उनके दो बच्चे हुए। वे हर साल दर्शन के लिए यहां पहुंचती है। बताया कि जिस तालाब में खुदाई से माता कंकालिन निकली है इसका महात्म्य है कि यहां तीन गुरूवार, सोमवार को मिट्टी लगाकर स्नान करने से सारे चर्म रोग दूर हो जाते है। बैगा-पुजारी ने उदाहरण के साथ बताया कि चर्म रोग से पीड़ित राजधानी रायपुर के अलावा दुर्ग, राजनांदगांव, भिलाई, भानुप्रतापपुर, कोंडागांव जैसे अनेको जगहो से लोग यहां पहुंचे और वे देवी मां की कृपा से ठीक हुए है। संरक्षक बोले- पहले तीन साल में एक बार होती थी कलश स्थापना मंदिर समिति के संरक्षक प्रसन्न शर्मा बताते है कि देवी मां के इस मंदिर में तीन साल में एक बार चैत्र नवरात्रि में ही ज्योति कलश की स्थापना होती थी. हमने भक्तो की मांग पर दोनो नवरात्रि चैत्र एवं क्वांर में ज्योति कलश प्रज्जवलित कराने का प्रस्ताव रखा। जिस पर ग्रामवासियो के विरोध का सामना करना पड़ा। बावजूद मैने ठान लिया। तब गांव वालो ने कहा कि, तीन साल वाली परंपरा टुटने पर किसी भी तरह से देवी प्रकोप को स्वयं झेलने के लिए आपको ही तैयार रहना होगा इस पर मैने हामी भरी। कुछ वर्षो तक दोनो नवरात्रि में आयोजन का भार मेरे परिवार के ऊपर था। धीरे-धीरे गांव वाले शांत होते गए देवी मां के प्रसन्न होने का चमत्कार जब दिखा तो लोग स्वयं जुड़ते गए और आज दोनो नवरात्रि को महापर्व के रूप में पूरे ग्रामवासी मनाने लगे। ये सब माता जी के कृपा से ही संभव हुआ है। आज इस मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते है। मंदिर का दिव्य रूप देखते ही बनता है। 207 ज्योति कलश हैं प्रज्जवलित मंदिर समिति के सचिव मिथलेश साहू ने बताया कि माता कंकालिन के प्रति आस्था और श्रद्धा के चलते ज्योति कलश जलाने वाले लोगो की संख्यादिन ब दिन बढ़ती चली जा रही है। इस साल 207 ज्योति कलश प्रज्जवलित हुआ है। मंदिर परिसर में पहुंचने पर कितनो ही अशांत व्यक्ति शांति का अनुभव महसुस करते है। मंदिर परिसर में पांचमहादेव का शिवलिंग भी स्थापित है जो दर्शनीय है। एक साथ पांच शिवलिंग देखने में कहीं नही आता। यहां पहुंचने वाले भक्त शिव और शक्ति का दर्शन प्राप्त करते है।
ज्वाला प्रसाद अग्रवाल, कार्यालय शाप न. 2 संतोषी मंदिर परिसर,गया नगर दुर्ग , छत्तीसगढ़, पिनकोड - 491001
+91 99935 90905
amulybharat.in@gmail.com
बैंक का नाम : IDBI BANK
खाता नं. : 525104000006026
IFS CODE: IBKL0000525
Address : Dani building, Polsaipara, station road, Durg, C.G. - 49001
Copyright © Amuly Bharat News ©2023-24. All rights reserved | Designed by Global Infotech
Add Comment