भानुप्रतापपुर । प्रदेश में समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान इस समय भारी संकट में है। भानुप्रतापपुर विकासखंड सहित कांकेर ज़िले के कई धान खरीदी केंद्रों में लाखों क्विंटल धान पिछले चार महीनों से खुले में पड़ा है, जो अब बारिश में भीगने से सड़ने और अंकुरित होने लगा है। सरकारी लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है, जबकि नियमों के अनुसार 28 फरवरी तक धान का उठाव हो जाना चाहिए था।
कांकेर ज़िले में अनुमानित 75,000 क्विंटल से अधिक धान खुले में पड़ा है, जिसमें से केवटी केंद्र में ही 11,000 बोरे अब भी बिना उठाव के जमा हैं। बारिश के चलते धान अंकुरित हो गई है और अब ग्रामीण इसे खेतों में रोपने के लिए थरहा के रूप में उपयोग कर रहे हैं।
धान खरीदी केंद्र के प्रभारी योगेश सोनवानी का कहना है कि अधिकारियों को बार-बार स्थिति से अवगत कराया गया है, और मिलर्स को भी सूचित किया गया है, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे हैं। पहले भी केंद्र में कार्यरत कर्मचारियों को गबन के आरोप में जेल जाना पड़ा है, जिससे अब अन्य कर्मचारी भय के माहौल में काम कर रहे हैं।
इस लचर व्यवस्था पर भाजपा सांसद भोजराज नाग ने नाराजगी जताते हुए कहा कि धान के सड़ने की शिकायत उन्हें मिली है। उन्होंने अधिकारियों को समस्या के शीघ्र निराकरण के निर्देश दिए हैं और कहा है कि यदि स्थिति नहीं सुधरी तो मुख्यमंत्री से शिकायत कर दोषियों पर कार्रवाई करवाई जाएगी।
गौरतलब है कि केवटी केंद्र में पिछले चार सत्रों के दौरान लगातार गड़बड़ियां सामने आई हैं। लेकिन असली दोष उन उच्चस्तरीय अधिकारियों और व्यवस्थाओं का है, जो समय पर उठाव सुनिश्चित नहीं कर पातीं। नतीजा यह होता है कि नुकसान का बोझ निचले स्तर के कर्मचारियों पर डाल दिया जाता है।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि अगर सरकारी तंत्र समय पर सक्रिय नहीं होता, तो उसकी कीमत आम किसानों और कर्मचारियों को चुकानी पड़ती है।
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