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अमरनाथ यात्रा 2025: श्रद्धालुओं का पहला जत्था जम्मू से रवाना, 'बम-बम भोले' के गूंजे जयकारे
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 2 जुलाई 2025,  08:25 AM IST
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अमरनाथ यात्रा 2025: श्रद्धालुओं का पहला जत्था जम्मू से रवाना, 'बम-बम भोले' के गूंजे जयकारे

Amarnath Yatra 2025: 'अमरनाथ यात्रा' के तीर्थयात्रियों का पहला जत्था बुधवार (2 जुलाई) को जम्मू से रवाना हुआ। 'हर-हर महादेव' और "बम बम भोले' के जयकारे लगाते हुए श्रद्धालु रवाना हुए। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यात्रा को हरी झंडी दिखाई। 38 दिन यानी 9 अगस्त तक चलने वाली यात्रा पहलगाम और बालटाल रूट से होकर जाएगी। "जम्मू-कश्मीर सरकार' ने यात्रा मार्ग को 'नो फ्लाइंग जोन' (No Flying Zone) घोषित किया है। अमरनाथ यात्रा के दोनों रास्तों पर सभी हवाई उपकरण-ड्रोन, यूएवी और गुब्बारे प्रतिबंधित रहेंगे।

3.5 लाख श्रद्धालुओं ने कराया रजिस्ट्रेशन
अमरनाथ यात्रा के लिए 3.5 लाख श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। जिन श्रद्धालुओं ने अभी तक ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कराया है, उनके लिए जम्मू में सरस्वती धाम, वैष्णवी धाम, पंचायत भवन और महाजन सभा में सेंटर खोले गए हैं। ये सेंटर रोज दो हजार श्रद्धालुओं का रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं।

लोगों को विश्वास है कि वे सुरक्षित हाथों में हैं
जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष सत शर्मा ने कहा कि हजारों श्रद्धालु बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए जा रहे हैं। अभी दो महीने पहले एक अलग माहौल बना था, लेकिन आज हम देख सकते हैं कि कैसे श्रद्धालु बाबा भोले के नारे लगा रहे हैं...लोगों को विश्वास है कि वे सुरक्षित हाथों में हैं।

अमरनाथ यात्रा के दो रूट
आधिकारिक तौर पर यात्रा की शुरुआत 3 जुलाई से होगी। यात्रा 9 अगस्त तक चलेगी। भगवान शिव की पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए दो प्रमुख रास्ते हैं। पहला पहलगाम रूट है। इस रास्ते से गुफा तक पहुंचने में लगभग तीन दिन लगते हैं। यात्रा की शुरुआत पहलगाम से होती है। पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है। 3 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद यात्री पिस्सू टॉप पहुंचते हैं। फिर यहां से 9 किमी चलने के बाद शेषनाग पहुंचते हैं। फिर 14 किमी का सफर करने के बाद यात्री पंचतरणी जाते हैं। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है।

बालटाल रूट: संकरा रास्ता, खड़ी चढ़ाई
बालटाल से दूसरा रास्ता शुरू होता है। यह मार्ग अपेक्षाकृत छोटा है। एकदम खड़ी चढ़ाई है।बालटाल से गुफा तक की दूरी केवल 14 किलोमीटर है। रास्ता अधिक सीधा और खड़ी चढ़ाई वाला है। बुजुर्गों और शारीरिक रूप से कमजोर यात्रियों के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण है। इस रूट पर रास्ते संकरे होते हैं और तेज मोड़ होने की वजह से सावधानी जरूरी है।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम
यात्रा मार्ग में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। हाईवे पर CRPF का K-9 दस्ता (डॉग स्क्वॉड) भी तैनात है। संवेदनशील इलाकों में चेहरा पहचानने के सिस्टम (FRS) के जरिए वैरिफिकेशन किया जाएगा। यह सर्विलांस कैमरे में किसी ब्लैकलिस्टेड व्यक्ति के दिखते ही सिक्योरिटी फोर्स को सूचित करेगा। काफिले की सुरक्षा के लिए पहली बार हाईवे पर जैमर लगाए गए हैं।

58 हजार सुरक्षाकर्मी रहेंगे तैनात
यात्रियों की सुरक्षा के लिए पहली बार जैमर सिस्टम लगाए जा रहे हैं। निगरानी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) करेगी। यात्रा में 58,000 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। श्रद्धालुओं को कंधे पर बिठाकर ले जाने वाले पोनी वालों का वैरिफिकेशन होगा। जिनके खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड होंगे। उन्हें सेवा की अनुमति नहीं दी जाएगी। घोड़े और खच्चरों की टैगिंग होगी ताकि यात्रा मार्ग से भटकने पर रियल टाइम में ट्रैक किए जा सकें।

इलाके में ड्रोन से निगरानी होगी
रोड ओपनिंग पार्टी (ROP) रास्ते को सुरक्षित करेगी। क्विक एक्शन टीम (QAT) किसी भी खतरे का तुरंत जवाब देगी। बम डिफ्यूज़ल स्क्वॉड को अलर्ट पर रखा गया है। K9 यूनिट्स (विशेष ट्रेनिंग पाए खोजी कुत्ते) भी सुरक्षा में लगाए जाएंगे। पूरे इलाके में ड्रोन के ज़रिए निगरानी की जाएगी।


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