छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी अरुणपति त्रिपाठी की मुश्किलें बढ़ गई है। झारखंड की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने छत्तीसगढ़ के पूर्व विशेष सचिव एपी त्रिपाठी से पूछताछ करने की अनुमति मांगी है। ACB ने रांची के स्पेशल कोर्ट में प्रोडक्शन वारंट के लिए आवेदन लगाया है। मामला झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले से जुड़ा हुआ है।
ACB रांची की टीम ने शनिवार को स्पेशल जज योगेश कुमार सिंह की अदालत में प्रोडक्शन वारंट आवेदन दिया। आवेदन मंजूर होने के बाद झारखंड ACB की टीम त्रिपाठी को रांची ले जाकर पूछताछ करेगी। एपी त्रिपाठी पर छत्तीसगढ़ जैसे शराब घोटाले की साजिश के आरोप है। क्योंकि त्रिपाठी झारखंड में लागू की गई नई शराब नीति के डिजाइन में शामिल थे।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी अरुणपति त्रिपाठी, अब झारखंड ACB ने मांगी पूछताछ की अनुमति। (फाइल फोटो)
झारखंड में भी छत्तीसगढ़ जैसे घोटाले की साजिश रचने के आरोप
आरोप है कि झारखंड के निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे ने एपी त्रिपाठी के साथ मिलकर झारखंड में भी छत्तीसगढ़ जैसी घोटाले की साजिश रची थी। झारखंड एसीबी इस मामले में पहले ही विनय चौबे समेत 8 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। माना जा रहा है कि त्रिपाठी से पूछताछ के बाद झारखंड शराब घोटाले से जुड़े कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
शराब नीति निर्माण में त्रिपाठी की भूमिका पर सवाल
झारखंड ACB का आरोप है कि एपी त्रिपाठी झारखंड में लागू की गई नई शराब नीति के डिजाइन में शामिल रहे थे। यही मॉडल छत्तीसगढ़ से प्रेरित था। आरोप है कि इस नीति के जरिए बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ और सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ।
त्रिपाठी को पहले ही मिल चुकी है सुप्रीम कोर्ट से जमानत
बता दें कि एपी त्रिपाठी अप्रैल 2025 में ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर रिहा हुए थे। वे छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ईडी की कार्रवाई के बाद लंबे समय तक जेल में थे। अब झारखंड ACB के प्रोडक्शन वारंट के चलते उनकी कानूनी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट से जमानत के बाद रिहा हुए थे एपी त्रिपाठी। (फाइल फोटो)
कौन हैं अरुणपति त्रिपाठी ?
अरुणपति त्रिपाठी छत्तीसगढ़ सरकार के आबकारी विभाग के विशेष सचिव रह चुके हैं। इससे पहले वे छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) के एमडी भी रहे हैं। त्रिपाठी मूल रूप से इंडियन टेलीकॉम सर्विस के अधिकारी हैं और डेपुटेशन पर छत्तीसगढ़ में कार्यरत थे।
शराब घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 5 अक्टूबर 2024 को रायपुर की विशेष अदालत में उनके खिलाफ मामला दायर किया। कोर्ट ने उसी दिन इस मामले पर संज्ञान लिया था, लेकिन 7 फरवरी 2025 को हाईकोर्ट ने PMLA कोर्ट के संज्ञान को रद्द कर दिया। अरुणपति त्रिपाठी 8 अगस्त 2024 से न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद थे।
अब जानिए छत्तीसगढ़ में कैसे हुआ शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
A, B और C कैटेगरी में बांटकर किया गया घोटाला
A: डिस्टलरी संचालकों से कमीशन
2019 में डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 रुपए और बाद के सालों में 100 रुपए कमीशन लिया जाता था। कमीशन को देने में डिस्टलरी संचालकों को नुकसान ना हो, इसलिए नए टेंडर में शराब की कीमतों को बढ़ाया गया। साथ ही फर्म में सामान खरीदी करने के लिए ओवर बिलिंग करने की राहत दी गई।
B: नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बिकवाना
डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई। नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई। नकली होलोग्राम मिलने में आसानी हो, इसलिए एपी त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को तैयार किया गया। होलोग्राम के साथ ही शराब की खाली बोतल की जरूरत थी। खाली बोतल डिस्टलरी पहुंचाने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और उसके भतीजे अमित सिंह को दी गई।
खाली बोतल पहुंचाने के अलावा अरविंद सिंह और अमित सिंह को नकली होलोग्राम वाली शराब के परिवहन की जिम्मेदारी भी मिली। सिंडिकेट में दुकान में काम करने वाले और आबकारी अधिकारियों को शामिल करने की जिम्मेदारी एपी त्रिपाठी को सिंडिकेट के कोर ग्रुप के सदस्यों ने दी।
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