स्वच्छता के मामले में इंदौर ने एक बार फिर देशभर में अपना परचम लहराया है। स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 की सुपर स्वच्छ लीग में इंदौर को देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में यह सम्मान मिला, जो शहर के नागरिकों की जागरूकता और प्रशासन की मेहनत का नतीजा है।
राष्ट्रपति द्वारा यह पुरस्कार नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और महापौर पुष्यमित्र भार्गव को प्रदान किया गया। उन्होंने इसे इंदौरवासियों को समर्पित करते हुए कहा, “यह सम्मान सिर्फ प्रशासन का नहीं, हर उस नागरिक का है जो शहर की सफाई को लेकर सजग है।”
भोपाल ने भी कमाल का प्रदर्शन करते हुए इस बार दूसरा स्थान प्राप्त किया। वहीं लखनऊ ने तीसरी पोजिशन हासिल की। खास बात यह रही कि इन शहरों ने सस्टेनेबल क्लीन सिटी मॉडल को अपनाकर स्वच्छता में बड़ा सुधार दिखाया।
उज्जैन ने भी बढ़ाया मध्यप्रदेश का मान
3 से 10 लाख आबादी वाले शहरों की श्रेणी में उज्जैन चौथे स्थान पर रहा। इस कैटेगरी में नोएडा पहले, चंडीगढ़ दूसरे और मैसूर तीसरे स्थान पर रहे। उज्जैन का यह प्रदर्शन MP को स्वच्छता का हब बनाने की दिशा में मील का पत्थर है।
स्वच्छता सर्वेक्षण भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जो 2016 से हर साल होती है। इसका मकसद है नगर निकायों को सफाई व्यवस्था में प्रतिस्पर्धी बनाना और नागरिकों में जागरूकता लाना।
शहरों को तीन मुख्य मानकों पर स्कोर दिया जाता है:
मध्यप्रदेश के शहरों ने पिछले कुछ वर्षों में सफाई व्यवस्था, डिजिटल ट्रैकिंग, डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन, वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट्स, और जन सहभागिता जैसे क्षेत्रों में गंभीर प्रयास किए हैं।
इंदौर की बात करें तो यहां स्वच्छता वालंटियर्स की बड़ी फौज है, जो हर दिन सफाई को लेकर अभियान चलाते हैं। वहीं, भोपाल और उज्जैन ने भी वॉटर प्लस और ODF++ जैसे टारगेट्स को समय पर पूरा कर दिखाया कि इच्छाशक्ति से बदलाव संभव है।
इन्हें मिला सुपर स्वच्छ लीग सिटीज में अवॉर्ड
बहुत छोटे शहर- आबादी 20,000 से कम (जैसे पंचगनी, पाटन)
पहली बार सर्वे में शहरों को आबादी से 5 कैटेगरी में बांटा
स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा 2 अक्टूबर 2014 को शुरू किया गया एक राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान है, जिसका उद्देश्य देश को स्वच्छ, कचरा-मुक्त और खुले में शौच से मुक्त करना है। यह महात्मा गांधी के स्वच्छता के दृष्टिकोण से प्रेरित है।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण): ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और शौचालय निर्माण पर ध्यान।
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी): शहरी क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन, शौचालय निर्माण और स्वच्छता सुविधाओं पर जोर।
इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, जो महात्मा गांधी की जयंती है।
लोगो: गांधीजी का चश्मा, जो स्वच्छता और समर्पण का प्रतीक है।
नारा: "एक कदम स्वच्छता की ओर"।
हाँ, यह एक जन-आंदोलन है। लोग स्वच्छता अभियान, सफाई ड्राइव, जागरूकता कार्यक्रमों और स्वच्छता प्रतिज्ञा के माध्यम से योगदान दे सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत पात्र परिवारों को शौचालय निर्माण के लिए 12,000 रुपये की सहायता दी जाती है। आवेदन स्थानीय पंचायत या सरकारी कार्यालयों के माध्यम से किया जा सकता है।
स्वच्छ सर्वेक्षण भारत सरकार द्वारा आयोजित एक वार्षिक रैंकिंग प्रक्रिया है, जो शहरों और कस्बों को स्वच्छता, कचरा प्रबंधन और नागरिक भागीदारी के आधार पर रैंक देती है।
नहीं, यह शौचालय निर्माण के अलावा कचरा प्रबंधन, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन पर भी केंद्रित है।
स्कूलों में स्वच्छता शिक्षा, शौचालयों का निर्माण और बच्चों को स्वच्छता की आदतें सिखाना इस अभियान का हिस्सा है। यह बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाता है।
अभियान ने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जैसे लाखों शौचालयों का निर्माण और कई गाँवों व शहरों को ODF घोषित करना। हालांकि, निरंतर जागरूकता और रखरखाव की आवश्यकता है।
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