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राजनीती और भी
वेज और नॉन-वेज वाले अलग जगह खाएंगे खाना… JNU
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 31 जुलाई 2025,  03:28 PM IST
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जेएनयू वेज नॉन-वेज खाने के लिए अलग जगह को लेकर विवाद ने काफी तूल पकड़ लिया. जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन ने इस नोटिस को विभाजनकारी कदम करार दिया. जेएनयू प्रशासन की तरफ से इस तरह के नोटिस को लेकर जांच के आदेश दे दिए.

नई दिल्‍ली. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के माही मांडवी हॉस्टल में वेजिटेरियन और नॉन-वेजिटेरियन खाने के लिए अलग-अलग जगह तय करने की कथित नीति को लेकर विवाद छिड़ गया. जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन (JNUSU) ने इस कदम को विश्वविद्यालय की समावेशी संस्कृति पर हमला बताते हुए तीखा विरोध दर्ज किया. JNUSU के बयान के अनुसार, माही मांडवी हॉस्टल में 28 जुलाई 2025 को एक नोटिस जारी हुआ, जिसमें मेस में खाने की व्यवस्था को वेज और नॉन-वेज के आधार पर अलग करने का निर्देश था. इसने छात्रों के बीच तनाव पैदा कर दिया, क्योंकि जेएनयू में खानपान की आजादी को हमेशा समावेशिता का प्रतीक माना गया है.

JNUSU ने सीनियर वार्डन से संपर्क किया, जिन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें इस तरह के किसी निर्णय की जानकारी नहीं थी. वार्डन ने आश्वासन दिया कि इस “विभाजनकारी कदम” की जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी, जो यह पता लगाएगी कि क्या मेस सचिव, मेस प्रबंधक या हॉस्टल अध्यक्ष ने इस नीति को लागू करने की कोशिश की. JNUSU ने इसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की ओर से कैंपस के “भगवाकरण” और समावेशी संस्कृति को नष्ट करने का हिस्सा बताया.

यूनियन ने कहा कि जेएनयू में “फूड पुलिसिंग” का कोई इतिहास नहीं रहा और यह कदम छात्रों को बांटने की साजिश है. छात्रों के विरोध के बाद नोटिस को वापस ले लिया गया और सीनियर वार्डन ने जांच का वादा किया. JNUSU ने इसे नफरत और विभाजन की राजनीति का हिस्सा बताते हुए कहा कि वे ऐसे किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध करेंगे. इस घटना ने जेएनयू की समावेशी पहचान को लेकर बहस छेड़ दी है, जहां खानपान की आजादी को व्यक्तिगत पसंद और सांस्कृतिक विविधता का हिस्सा माना जाता है. दिल्ली पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की है, लेकिन कैंपस में तनाव बरकरार है.

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