• +91 99935 90905
  • amulybharat.in@gmail.com
जरा हट के और भी
सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी – राज्यपाल दूसरी बार विधानसभा से पास बिल नहीं रोक सकते
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 21 अगस्त 2025,  09:42 PM IST
  • 454
सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी – राज्यपाल दूसरी बार विधानसभा से पास बिल नहीं रोक सकते

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्यपाल की शक्तियों पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने साफ कहा कि निर्वाचित सरकारें राज्यपाल की मर्जी पर नहीं चल सकतीं। विधानसभा से पास होकर कोई बिल अगर दूसरी बार राज्यपाल के पास आता है, तो वह न तो उसे रोक सकते हैं और न ही राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं।

संविधान पीठ में हुई सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ में बुधवार को इस मामले पर जोरदार बहस हुई। पीठ में जस्टिस सूर्यकांत, विक्रम नाथ, पी. एस. नरसिम्हा और ए. एस. चंदुरकर भी शामिल रहे।
मामले पर गुरुवार को लगातार तीसरे दिन सुनवाई होगी।

अनुच्छेद 200 क्या कहता है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 200 राज्यपाल को चार विकल्प देता है –

  1. बिल को मंजूरी देना।

  2. मंजूरी न देकर राष्ट्रपति के पास भेजना।

  3. विधानसभा को पुनर्विचार के लिए वापस करना।

  4. मंजूरी रोकना (पॉकेट वीटो जैसा व्यवहार)।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि –

  • राज्यपाल एक बार तो बिल को पुनर्विचार के लिए लौटा सकते हैं।

  • लेकिन जब विधानसभा पुनर्विचार कर उसे दोबारा पास करके भेजेगी, तब राज्यपाल को मंजूरी देनी ही होगी।

कोर्ट की टिप्पणी का महत्व

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी राज्यपाल और निर्वाचित सरकारों के बीच टकराव वाले मामलों में दूरगामी असर डालेगी।
अब राज्यपाल मनमाने ढंग से विधायी प्रक्रिया को रोक नहीं सकेंगे और जनादेश से बनी सरकार की नीतियों को लागू होने से वंचित नहीं कर पाएंगे।


अगली सुनवाई गुरुवार को होगी, जिसमें कोर्ट और गहन व्याख्या कर सकता है।

?️ रिपोर्ट: ज्वाला एक्सप्रेस न्यूज टीम
नई दिल्ली

RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37

RO. NO 13404/ 37

Add Comment


Add Comment

629151020250338041002855468.jpg
RO. NO 13404/ 37
74809102025230106banner_1.jpg
RO. NO 13404/ 37
98404082025022451whatsappimage2025-08-04at07.53.55_42b36cfa.jpg
RO. NO 13404/ 37
74809102025230106banner_1.jpg
RO. NO 13404/ 37
98404082025022451whatsappimage2025-08-04at07.53.55_42b36cfa.jpg





ताज़ा समाचार और भी
Get Newspresso, our morning newsletter