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छठवें दिन भी जारी रहा एनएचएम कर्मचारियों का हड़ताल, स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 23 अगस्त 2025,  09:26 PM IST
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छठवें दिन भी जारी रहा एनएचएम कर्मचारियों का हड़ताल, स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई

दुर्ग। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के कर्मचारियों का हड़ताल छठवें दिन भी जारी रहा। भारी बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में कर्मचारी आंदोलन में शामिल हुए। कोरोना महामारी के समय जनता की सेवा में अपनी जान की परवाह किए बिना डटे रहने वाले ये स्वास्थ्य योद्धा आज अपनी मांगों को लेकर सड़क पर हैं।
एनएचएम कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें कोरोना काल में अपने परिवार और छोटे बच्चों को छोड़कर मरीजों की सेवा करनी पड़ी, लेकिन वर्तमान में सरकार उनकी जायज मांगों को पूरा नहीं कर रही। उनका वेतन इतना कम है कि मजदूरी करने वाले श्रमिक भी उनसे अधिक कमाई कर लेते हैं। महंगाई के दौर में परिवार का खर्च चलाना उनके लिए बड़ी समस्या बन गया है।
-स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ा असर..
हड़ताल की वजह से प्रदेशभर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह बंद हैं। जिला चिकित्सालय दुर्ग की भी स्थिति गंभीर हो गई है। यहां 60% से अधिक कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिससे नियमित स्टाफ पर काम का दबाव कई गुना बढ़ गया है।

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आईसीयू, एसएनसीयू, डीईआईसी जैसे अहम विभागों में एनएचएम के डॉक्टर, नर्स और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हड़ताल पर होने से मरीजों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। श्रवण जांच केंद्र पूरी तरह बंद है। स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए बीएससी नर्सिंग और जीएनएम छात्र-छात्राओं को लैब, वार्ड, ब्लड बैंक, एक्स-रे और सोनोग्राफी लैब में ड्यूटी पर लगाया गया है। वहीं अनुभवहीन बीएएमएस प्रशिक्षु डॉक्टरों से आपात कार्य लिया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण का कार्य भी प्रभावित हुआ है। छोटे बच्चों को टीके नहीं लग पा रहे और टीबी मरीजों को दवाइयां व काउंसलिंग सुविधा नहीं मिल रही है।
-एनएचएम संघ का बयान..
एनएचएम कर्मचारी संघ दुर्ग के जिला अध्यक्ष डॉ. आलोक शर्मा ने बताया कि केवल दुर्ग जिले में ही करीब 850 एनएचएम कर्मचारी और प्रदेशभर में लगभग 16,000 कर्मचारी हड़ताल पर हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी 10 सूत्रीय मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
लगातार बढ़ते इस आंदोलन से प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था गहरी संकट में है और मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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