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मुस्लिम युवक ने ऑफर की किडनी, प्रेमानंद महाराज बोले– नहीं लूंगा दान
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 26 अगस्त 2025,  10:09 AM IST
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प्रेमानंद महाराज की सेहत पर चिंता, युवक का बड़ा कदम– किडनी देने को तैयार रामभद्राचार्य की चुनौती के बीच मुस्लिम युवक ने बढ़ाया हाथ, कहा– किडनी ले लीजिए ‘यह मेरा व्यक्तिगत निर्णय’– पत्नी की सहमति के बाद युवक ने संत को ऑफर की किडनी

भोपाल/इटारसी। वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज इन दिनों चर्चा में हैं। उनकी बिगड़ती सेहत और जगतगुरु रामभद्राचार्य की चुनौती के बीच इटारसी के एक मुस्लिम युवक ने उन्हें अपनी किडनी ऑफर कर नई मिसाल पेश की है। हालांकि महाराज ने दान स्वीकार करने से इनकार कर दिया, लेकिन इस पहल की जमकर सराहना की।

इटारसी निवासी ने दिखाई मिसाल

न्यास कॉलोनी, इटारसी निवासी आरिफ खान चिश्ती ने 20 अगस्त को प्रेमानंद महाराज के नाम पत्र लिखकर अपनी किडनी दान करने की इच्छा जताई। उन्होंने यह पत्र नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीणा को सौंपा और साथ ही ई-मेल व व्हाट्सएप से भी संदेश भेजा।

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बताया

पत्र में आरिफ ने लिखा – “प्रेमानंद महाराज समाज में प्रेम और शांति का संदेश देते हैं। मीडिया से मुझे पता चला कि उनकी दोनों किडनियां खराब हैं, इसलिए मैं अपनी एक किडनी दान करना चाहता हूं।” उन्होंने महाराज को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बताया।

महाराज ने की तारीफ, पर किडनी लेने से इनकार

पत्र मिलने के बाद महाराज के सहयोगी प्रतीक ने आरिफ को फोन कर धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि महाराज उनकी सोच और उदारता से बेहद प्रभावित हैं और व्यक्तिगत रूप से मिलने की इच्छा रखते हैं। हालांकि, प्रेमानंद महाराज ने साफ किया कि वे किडनी स्वीकार नहीं करेंगे।

कौन हैं आरिफ खान चिश्ती?

आरिफ अपने पिता और तीन भाइयों के साथ इटारसी की न्यास कॉलोनी में रहते हैं। मां का निधन हो चुका है। एक साल पहले उनकी शादी हुई थी। आरिफ ने कहा – “यह मेरा व्यक्तिगत निर्णय है। पत्नी भी पूरी तरह सहमत है। अगर मैं महाराज के काम आ पाया तो इसे गौरव मानूंगा।”

रामभद्राचार्य ने दी थी चुनौती

उधर, चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ के पीठाधीश जगतगुरु रामभद्राचार्य ने हाल ही में प्रेमानंद महाराज को खुली चुनौती दी थी। उन्होंने कहा – “प्रेमानंद मेरे बालक समान हैं। अगर सच में चमत्कारी हैं तो मेरे सामने आकर संस्कृत में शास्त्रार्थ करें और श्लोकों का अर्थ बताएं। वे डायलिसिस पर जी रहे हैं, न मैं उन्हें विद्वान मानता, न चमत्कारी।”

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