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तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में नहीं होता रावण का दहन, इस दिन दी जाती है तोप की सलामी
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 12 अक्टूबर 2024,  07:45 PM IST
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धार्मिक तीर्थ नगर ओंकारेश्वर में दशहरा पर्व पर रावण को ना जलाए जाने को लेकर बताया जाता है कि लंकापति रावण बाबा भोलेनाथ के परम भक्त थे। जिसके चलते रावण का दहन ओम्कारेश्वर तीर्थ नगरी में आनादिकाल से ही नहीं किया जाता है और दशहरे के दिन ओंकारेश्वर में वर्तमान शासक पुष्पेंद्र राव सिंह के राज परिवार बाबा की पालकी के साथ नगर भ्रमण कर दशहरा मिलन समारोह के लिए जाते हैं। यहां एक दूसरे को मिठाई बांटी जाती है और तत्पश्चात राजमहल में एक दूसरे को गले मिलकर बधाई देते हैं। बताया जाता है कि यह परंपरा अनादि काल से चली आ रही है और वर्ष में एक बार ही यहां के राजा गादी पर बैठते हैं और उन्हें तोपों की सलामी दी जाती है। तीर्थ नगरी में निकाला जाता है शिवजी का डोला वहीं इस अनोखी परंपरा के बारे में बताते हुए ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के पंडित धर्मेंद्र पाठक ने बताया कि यूं तो दशहरा का पर्व सभी दूर देश और दुनिया में मनाया जाता है और सभी दूर इसमें रावण का दहन भी किया जाता है। पर मात्र एक ओंकारेश्वर तीर्थ नगरी ही ऐसी जगह है, जहां पर रावण का दहन नहीं किया जाता है। क्योंकि रावण शिवजी का परम भक्त था और ओंकारेश्वर में भगवान स्वयंभू प्रकट हुए हैं। इसीलिए यहां पर रावण का दहन नहीं किया जाता। उसके बदले यहां पर दशहरा पर्व मनाने के लिए एक दूसरे को मिठाई खिलाई जाती है।


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